ओउम्
——-भूपेश आर्य——–
स्वास्थय व धर्म सम्बन्धी कुछ नियम-
🌼1.ब्रहमुहूर्त(सूर्योदय से दो घण्टा पूर्व)में जागना चाहिए।
🌼२.जागकर परमात्मा का स्मरण करना चाहिए।
🌼३.निरोग और स्वस्थ अवस्था में प्रतिदिन स्नान करना चाहिए।
🌼४.स्नान के पश्चात आचमन कर और पवित्र होकर प्रतिदिन दोनों समय सावधान हो पवित्र अदान पर गायत्री जप करते हुए यथाविधि उपासना करनी चाहिए।
🌼५.गरम भोजन करना चाहिए।गरम भोजन शीघ्र पच जाता है।
🌼६.परस्पर विरूद्ध आहार नहीं लेने चाहिए।जैसे दही और दूध,आम का अचार और खीर,एक साथ नहीं लेने चाहिए।
🌼७.सूर्यास्त के समय भोजन,अध्ययन और निद्रा का सेवन नहीं करना चाहिए।
🌼८.जो बात अपने लिए प्रतिकूल जान पडे,वह दूसरों के प्रति भी नहीं करनी चाहिए।
🌼९.यदि कोई वार्तालाप करे तो उससे मीठा ओर मधुर बोलना चाहिए।-महा०३८/७१
🌼१०.यदि कोई अपनी और देखे तो उसकी और मधुर और सौजन्यपूर्ण द्रष्टि से देखना चाहिए।
🌼११.यदि किसी पर आपत्ति आ जाये,यदि कोई बुरे मार्ग पर चलने लगे तथा किसी का काम करने का समय बीत रहा हो तो बिना पूछे भी हितैषी पुरुष को उसके लिए हितकारी बात बता देनी चाहिए।शुक्रनीति २/२२३
🌼१२.उत्तर और पश्चिम की और सिर करके न सोये।विद्वान मनुष्य को पूर्व और दक्षिण की और सिर करके सोना चाहिए।-महा०१०४/४८
१३.शारिरीक,वाचिक या मान्सिक पाप नहीं करने चाहिए।
🌼 १४.बुद्धिमान को चाहिए कि पैर तथा जांघ फैला कर नहीं बैठना चाहिए।
🌼१५.खडे होकर पेशाब नहीं करना चाहिए।-महा०१०४
(हार्टफेल के कारणों में एक कारण खडे होकर पेशाब करना भी है।)
🌼१६.रात्रि में दही नहीं खाना चाहिए।-चरक सूत्र० ८/२०
रात्रि में दही का सेवन शरीर की शोभा व कान्ति को नष्ट करता है व आयु घटाता है।
🌼१७.पैरों को भिगोकर(पैर धोकर) भोजन करने वाला मनुष्य सौ वर्ष तक जीवित रहता है।(अत: पैर धोकर भोजन करना चाहिए।)-महा० १०४/६२
🌼१८.गीले पैर करके कभी न
सोयें।पैरों को पोछकर तब सोयें।
🌼१९.दूसरों द्वारा प्रयोग में लाये हुए व वस्त्र,जूता,माला और यज्ञोपवीत को धारण नहीं करना चाहिए।
🌼२०.बिना किसी कारण के दाढी-मूंछ बढाकर नहीं रखनी चाहिए।
🌼२१.या तो सभा में जाना नहीं चाहिए,यदि चले गये तो सत्य बोलना चाहिए।अन्याय की बात पर मौन रहने वाला अथवा व्यर्थ बोलने वाला मनुष्य पापी होता है।-मनु० ८/१३
🌼२१.जब तक शरीर स्वस्थ है और म्रत्यु दूर है,तभी तक आत्मकल्याण कर लेना चाहिए,मरने पर क्या कर सकेगा?
🌼२२.एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति।-ऋ० १/१६४/४६
एक ही परमात्मा को विद्वान लोग अनेक नामों से पुकारते हैं।
🌼२३.वेदाहमेतं पुरुषं महान्तमादित्यवर्णं तमसा परस्तात् ।
तमेव विदित्वाति म्रत्युमेति नान्य: पन्था विद्दतेअयनाय ।। यजु० ३१/१८
मैं उस महापुरुष(परमेश्वर) को जानूं,जो सूर्य के समान देदीप्यमान और अज्ञान अन्धकार से सर्वथा रहित है।उसी को जानकर मनुष्य म्रत्यु को भी लाँघ जाता है।उसे जाने बिना म्रत्यु से छूटने का
[11:12pm, 07/09/2015] भूपेश सिंह आर्य: मोक्ष प्राप्ति का और कोई उपाय नही है।
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