“सुविचार: दिनांक : २४/१०/२०१५
- प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में, मध्य में और अन्त में ईश्वर की स्तुति-प्रार्थना-उपासना करनी चाहिए। इससे एक तो वह कार्य सरलता से हो जाता है, दूसरा मिथ्याभिमान नहीं रहता, तीसरा मैं और मेरा भाव नष्ट हो जाता है, यह एक शिष्ट व्यवहार है।
पूज्य स्वामी सत्यपति जी”
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