आज का सुविचार (21 अक्टूबर 2015, बुधवार, कार्तिक शुक्ल ८)
तकनीकी संस्थानों, धर्म संस्थानों, साहित्यिक संस्थानों, सामाजिक संस्थानों को प्रजातन्त्र रोग हो गया है अतः ये `सवितुर्वरेण्यम्’ नहीं रह गइऔ हैं। इन्हें प्रज-तन्त्र आधारित करना होगा कि तकनीकी मानव सक्षम हो सके। “आम-राय” बड़ी खतरनाक स्थिति है। “श्रेष्ठ-राय” ने ही विश्व इतिहास रचे हैं। आम-राय ने विश्व इतिहास रचयिताओं को मिटाने के असफल प्रयास किए। एनेक्सगोरस, सुकरात, स्पिनोजा, गैलेलिओ, दयानन्दादि इसके ज्वलन्त प्रमाण हैं।? (~स्व.डॉ.त्रिलोकीनाथ जी क्षत्रिय)
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