Friday, October 23, 2015

सुमेधा आर्या: – मेरी अवस्था एक माली जैसी है– एक दिन जब महर्षि दयानंद अपनी कुटिया पर...

सुमेधा आर्या: –

मेरी अवस्था एक माली जैसी है–
एक दिन जब महर्षि दयानंद अपनी कुटिया पर पधारे तो एक भक्त ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा -“महाराज! आज दुष्टजनों ने आप पर बहुत धूल-राख फेकी और बड़ा अपमान भी किया ।
स्वामी जी ने कहा -” वत्स! चिंता की कोई बात नहीं है। परोपकार करते समय मान-अपमान का त्याग करना ही पड़ता है। इसके बिना सुधार नहीं हो सकता। मैंने आर्यसमाज का बगीचा लगाया है। इसमें मेरी अवस्था केवल माली जैसी है। पौधों में खाद डालते समय धूल-राख माली के सर पर पड़ ही जाती है। मुझ पर धूल-राख चाहे जितना पड़े लेकिन बगीचा हरा-भरा और फूलता- फलता रहे, यही मेरी कामना है ।"


सुमेधा आर्या: ऋषि दयानंद की विशेषतायें-
1.मेरी ओर नहीं वेदों की ओर लौटो।
3.ब्रह्मा से जैमिनी पर्यन्त लुप्त काल, विद्या, ज्ञान को उजागर किया।
3.“कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” वेदों से निकाल के दिया, विचारणीय बात कि तथाकथित बाबाओ की तरह उनका स्वयं का कोई नारा नहीं था।
4.स्वयं का कुछ भी नया मत, विचार और व्याख्या नहीं दी, सभी सन्दर्भ, प्रमाण वेदों और ऋषि कृत ग्रंथो से है।
5.ईश्वरीय ज्ञान को वेदों का गीत-गान सिद्ध किया ना कि गडरिये के गीत।
6. वेद सत्य ज्ञान की पुस्तक है ऐसा किसी मत, पंथ, संप्रदाय में नहीं माना जाता सिवाय आर्य समाज के, ऐसा प्रतिपादित किया। ग्रिफिथ जैसे विदेशी अनार्ष भाषिये को आइना दिखाया।
7. दुनिया के किसी मंदिर में विशुद्ध रूप से वैदिक पद्धति से यज्ञ, मन्त्र सस्वर पठन पाठन नहीं होता। आर्य समाज मंदिर की स्थापना कर इसे पुनः जिवंत कराया।
8. वेदों में सम्पूर्ण सृष्टि का ज्ञान विज्ञान भरा है, इंगित ही नहीं भाष्य भी दिया।
9. नारी और शूद्रो को वेदों को पढ़ने का अधिकार पुनः प्रदान कराया।
10. 3000 ग्रंथो का निचोड़ रुपी अमूल्य कालजयी ग्रन्थ “सत्यार्थ प्रकाश” संसार के मानवो को दे गए।
भारत को पुनः विश्व गुरू बनाने के लिये सत्यार्थ प्रकाश जरूर पढ़े


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