आज का सुविचार (30 अक्टूबर 2015, शुक्रवार, कार्तिक कृष्ण ३)
दहलीज सीमापार धन का विद्या ग्रहण हेतु उपयोग सर्वोत्तम उपयोग है। विद्या जिस धन पर सवार नहीं होती है, दहलीज सीमा पार वह धन हास्यास्पद होता है। एक बार मैं भिलाई के सर्वाधिक धनियों में से एक के निवास किसी कार्य से गया। उस घर में सुसज्जित बैरे, नौकर थे। वे सज्जन घर में नहीं थे। मैने एक बैरे से एक कागज देने को कहा। वह एक पैड़ लाया, जो इम्पोर्टेड सनबोर्ड कागज का लेटरहेड था। मैंने लिखते-लिखते नाम शिक्षा जो ऊपर लिखा था पढ़ी। लिखने के बाद मैंने कहा- क्या मैं एक लेटरहेड ले सकता हूं। बैरा हस दिया बोला- साहब ये नायाब है तीन-चार ले जाइए। मैं तीन-चार कागज़ लेटरहेड के ले आया। मेरे मित्रों में भी उसके लिए छीना-झपटी मची। उस मंहगे लेटरहेड पर धन कब्र स्याही से बायी ओर एक नाम छपा था और दाहिनी ओर उसकी शिक्षा स्वर्णिम अक्षरों लिखी थी The admirer of the film star Rajendra Kumar.
धन मुर्दा-बोझ न हो अतः उसका धर्म, ज्ञान-त्याग से आवरणित होना आवश्यक है। (~स्व.डॉ.त्रिलोकीनाथ जी क्षत्रिय)
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