ओउम्
भूपेश आर्य~८९५४५७२४९१
गैर तो अपने क्या होने थे,
अपने भी ना अपने हैं।
इसिलिए भारत माता के
आज अधूरे सपने हैं।।
मोहम्मद बिन कासिम को
अरब से बुलाने वाले गैर
ना थे।
सिन्ध के राजा दाहर राय को मिटाने वाले गैर ना
थे।
दाहर की दो कन्या अरब
पहुंचाने वाले गैर ना थे।
अरब-खरब की धनराशि
रिपु को बताने वाले गैर
ना थे।।
अपनों के काले कारनामें
इतिहासों में छपने हैं।
इसिलिए भारत माता के–।।
भाई राजकोट के छवि
मन्दिर को तोडने वाले
गैर ना थे।
प्रथ्वीराज राज चौहान
की आंखें फोडने वाले
गैर ना थे।
छत्रसाल,प्रताप,शिवा को
मोडने वाले गैर ना थे।
बंदे बैरागी को अकेला
छोडने वाले गैर ना थे।
गुरु गोविन्द सिंह से
लालों से लाल अनेको
अपने हैं।
इसीलिए भारत माता के
आज अधूरे सपने हैं।।
गैर तो अपने क्या होने
थे———–।।
७०० साल यवनों की
हुकूमत रखने वाले गैर
ना थे।
अंग्रेजों की सारी बुराईयां
ढकने वाले गैर ना थे।
वैदिक संस्क्रति के विरुद्ध
चल बकने वाले गैर ना थे।
ऋषियों की बांधी मर्यादा
तोडने वाले गैर ना थे।
यूं ही रहा भारत में लोगों
पाकिस्तान अनेकों अपने हैं।
इसिलिए भारत माता के
आज अधूरे सपने हैं।
गैर तो अपने क्या होने
थे————-।।
खान पान और भेष को
बिगाडने वाले अपने हैं।
अपने शहर गांवों को उजाडने वाले अपने हैं।
खुद को मिटाने के लिए
सिंह से दहाडने वाले
अपने हैं।
अनगिन जयचन्द भारत की जड पाडने वाले अपने
हैं।
शोभाराम कोई पेश चले
ना ये तो केवल तेरी कल्पने
हैं।
इसिलिए भारत माता के
आज अधूरे सपने हैं।
गैर तो अपने क्या होने
थे—————।।
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