Wednesday, October 28, 2015

—~~~**★उम्मुल किताब★**~~~– अर्थात् —~~~***★ पवित्र वेद...

—~~~**★उम्मुल किताब★**~~~–
अर्थात्
—~~~***★ पवित्र वेद ★***~~~—

आर्ष साहित्य में ईश्वरीय सविधान को श्रुति कहा जाता है जिसे कुरान ने उम्मुल किताब ( अर्थात किताबो की जननी ) कहा गया है । यह ईश्वरीय ज्ञान कुरान इंजील तौरेत जबूर इन सब की जननी है । अथर्ववेद में अल्लाह ने उस उम्मुल किताब का नाम दिया है जिसे वेद माता कहा गया है । वेद को उम्मुल किताब इसी लिए कहा गया है की यही वेद ही दुनिया के आधुनिक व् नवींन ज्ञान विज्ञानं का आधार है अर्थात उसे जन्म देने वाला है । सब विद्वान एक मत होकर मानते है की दुनिया के पुस्तकालय में वेद सबसे प्राचीन है । ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में आदम ( इन्सान ) को सम्पूर्ण ज्ञान अर्थात उम्मुल किताब अर्थात वेद का ज्ञान दिया जिसका वर्णन कुरान में इस तरह है ।

इल्लमा आदमल असमाआ कुल्लहा
अर्थात आदम को संसार के सभी वस्तुओ के नाम सिखाये ।
यहाँ अल्लाह मिया का स्पष्ट उपदेश है की आदम को सृष्टि के आरम्भ में सम्पूर्ण ज्ञान दिया गया था । जैसा की वैदिक मान्यता है की सृष्टि के आदि ही ईश्वर ने सम्पूर्ण ज्ञान आदम ( मनुष्य ) को दे दिया था । इसलिए ईश्वर अर्थात अल्लाह के बार बार इल्हाम अर्थात ज्ञान देने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता । आर्य जाति ही वह जाति है जो अल्लाह के उस सम्पूर्ण और एक मात्र इल्हाम को आज तक अनुसरण करती आई है । वरना प्रत्येक मत सम्प्रदाय ने उस ईश्वर के असली इल्हाम वेद के स्थान पर भिन्न भिन्न मजहबी विचारधारा को इल्हाम का नाम दे दिया है । इसलिए हे आदम के वंशजो लौट आओ उम्मुल किताब अर्थात वेद की ओर ।
–~~**★ आ अब लौट चलें ★**~~–
–~~**★ पवित्र वेदों की ओर ★**~~–
–~~**★ प्यारे वेदों की ओर ★**~~–
–~~**★ न्यारे वेदों की ओर ★**~~–
–~~**★ अपने वेदों की ओर ★**~~–
–~~**★ पवित्र वेदों की ओर ★**~~–
–~~**★ आ अब लौट चलें ★**~~–
—~*★ जय आर्य जय आर्यवर्त ★*~—
—~~~***★ ॥१०८॥ ★***~~~—


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