[10/24, 9:37 AM] +91 88264 71857: (मानव कल्याण के नियम)१.सब सत्यविद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उन सब का आदि मूल परमेश्वर है।
[10/24, 9:37 AM] +91 88264 71857: २. ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप,निराकार,सर्वशक्तिमान,न्यायकारी,दयालु,अजन्मा,अनन्त,निर्विकार,अनादि,अनुपम,सर्वाधार,सर्वव्यापक,सर्वान्तर्यामी,अजर,अमर,अभय,नित्यपवित्र और सृष्टि कर्ता है।
[10/24, 9:38 AM] +91 88264 71857: ३.वेद सब सत्यविद्याओं की पुस्तक है।वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।
[10/24, 9:38 AM] +91 88264 71857: सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।
[10/24, 9:38 AM] +91 88264 71857: ५.सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए।
[10/24, 9:39 AM] +91 88264 71857: ६.संसार का उपकार करना आर्यसमाज का मुख्य उद्देश्य है।अर्थात् शारीरिक,आत्मिक और सामाजिक उन्नति कयना।
[10/24, 9:39 AM] +91 88264 71857: ७.सब से प्रीतिपूर्वक,धर्मानुसास यथायोग्य बर्ताव करना चाहिए।
[10/24, 9:39 AM] +91 88264 71857: ८.अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिएह
[10/24, 9:40 AM] +91 88264 71857: ९.प्रत्येक को अपनी ही उन्नति में सन्तुष्ट नहीं रहना चाहिए।बल्कि सबकी उन्नति में ही अपनी उन्नति समझनी चाहिए।
[10/24, 9:40 AM] +91 88264 71857: १०.सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतन्त्र रहें।
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