★मांडलीक★
कुमति कुदृष्टि तणा , बंध कर हवे दाव,,,
पछी रेशे नय करनार राव ,कोय मोले तारे मांडलीक,,,
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चारण थी चडीये नय , कदी वेणे न करीये वाद,,,
तारु सुरत आखु शहेर , तेदी मे धुणाव्युतु मांडलीक,,,
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वखत छे वहेवार तणो , मोज आ ले माणी,,,
पछी पीवा पाणी , वेळा नय रिये मांडलीक,,,
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डर नथी नागल ने , जाण जुना ना धणी,,,
आ शरम मोसाळ तणी , बाकी मुख न खुले मांडलीक,,,
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रदय खोल राजन , पछी जीववु थाशे झेर,,,
आ चारण साथे वेर , मोंघा पडशे मांडलीक,,,
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मान आ वेण बीजे , तु चारण थी छो अजाण,,,
पछी मोले तारे महेमान , रेशे नय कोय मांडलिक,,
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वेण चारण ना एक , भव बधो तरीश,,,
नहीतर द्वारे द्वारे फरीश , भुंडा मोये मांडलिक,,,
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मेली दे मोणीया तणु , न लइश जीभे थी नाम,,,
पछी गढपत गामो गाम , माखण उघरावीश मांडलीक,,,
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जूनाणे पाछो जा , छानो मानो चूप,,,
हजु भळ्या नथी भूप , मग ने चोखा मांडलीक,,,
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डेलीये नहि दरवान , रा ना कोय रेशे नय,,,
पहेरेगीर पठाण , मामद शा ना मांडलीक,,,
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गंगाजळीया गरवा पति , वातु धटे नही विर,,,
आ नेवा हुंदा नीर , मोभे नो चडे मांडलीक,,,
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गंगाजळीया गरवा पती वातु घटे ना विर,,,
आवि हिणी नजरु हमीर कोय दि मावतर माथे ना होय मांडलीक,,,
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पोथी ने पुराण भागवत क्याय भाळीस नहि,,,
मुल्ला पुकार से बांग तारी मेळी माथे मांडलीक,,,
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रेसे नहि नहि रा नी रीत तारु रा पणु क्याय रेसे,,,
भटकतो मांगीस भीख ते दि तु संमभारजे मांडलीक,,,
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अमे छोरु तमे मावतर, तने वंदिये विर,,,
आवि हिणी नजरु हमिर, मावतर माथे ना होय मांडलीक,,,
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नागबाइ ने नम्यो नहि ने भुल्यो राजा नि रीत,,,
तारी मेळी ठेकाणे मस्जीद,ज्या मुल्ला पुकारे रा'मांडलीक,,,
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कंइक फकीर,कंइक फकरा मण मांगी खाय,,,
लोट जाय ज्यां जुनाणा नो कोढ,पण मोळु ना पडे मांडलीक,,,
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मारा जेवि नहि मळे, तने समजावतल हठा,,,
मानि जा अक्कल मठा,मारा वचन ने तुं मांडलीक,,,
★परबत गोरीया★
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