जो राजा विद्वानों की सहायता समय समय पर लेता रहे और उनसे ज्ञान वृद्धि कर शासन करें उस राजा की प्रजा हमेशा सुखी रहती है
जैसे चाणक्य ने इस देश को बचाने के लिए स्वयं शासक का निर्माण किया था ठीक आज भी विद्वानों को सशक्त राजा का निर्माण करना चाहिए, जिससे देश का उद्धार हो सके
यजुर्वेद ६-१(6-1)
दे॒वस्य॑ त्वा सवि॒तुः प्र॑स॒वे॒श्विनो॑र्बा॒हुभ्याम्पू॒ष्णो हस्ता॑भ्याम् । आद॑दे॒ नार्य॑सीदम॒ह रक्ष॑साङ्ग्री॒वाऽअपि॑ कृन्तामि । यवो॑सि य॒वया॒स्मद्द्वेषो॑ य॒वयारा॑तीर्दि॒वे त्वा॒न्तरि॑क्षाय त्वा पृथिव्यै त्वा शुन्ध॑न्ताँलो॒काः पि॑तृ॒षद॑नाः पि॑तृ॒षद॑नमसि ॥६-१॥
भावार्थ:- जो विद्या में अतिविचक्षण पुरुष की सृष्टि में अपनी और औरों की दुष्टता को छुड़ाकर राज्य सेवन करते हैं, वे सुखयुक्त होते हैं।।
पण्डित लेखराम वैदिक मिशन
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