।।ओ३म् ।।कृण्वन्तो विश्वमार्य।। www.aaryaveercampus.edu.in
ईश्वर का स्वराज्य सर्वत्र व्याप्त और अविनाशी है उसके नियम अटल अकाट्य हैं किन्तु मनुष्य का राज्य एक देशी तथा नाशवान होता है परिवर्तन शील होता है
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