Friday, June 12, 2015

परमात्मा निराकार है, अतः उसका मुख आदि हो नहीं सकता। यजुर्वेद ३१.११ मंत्र में अलङ्कार पूर्वक चारों...

परमात्मा निराकार है, अतः उसका मुख आदि हो नहीं सकता। यजुर्वेद ३१.११ मंत्र में अलङ्कार पूर्वक चारों वर्णों की समाज में उपयोगिता दर्शायी गयी है।उसका यह अर्थ कदापि नहीं कि ब्राह्मण ईश्वर के मुख से,क्षत्रिय भुजाओं से,वैश्य उदर से और शुद्र पैरों से उत्पन्न हुये हैं |


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