डॉ॰ भगवान दास ने कहा था कि स्वामी दयानन्द हिन्दू पुनर्जागरण के मुख्य निर्माता थे।श्रीमती एनी बेसेन्ट का कहना था कि स्वामी दयानन्द पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने ‘आर्यावर्त (भारत) आर्यावर्तियों (भारतीयों) के लिए’ की घोषणा की।सरदार पटेल के अनुसार भारत की स्वतन्त्रता की नींव वास्तव में स्वामी दयानन्द ने डाली थी।पट्टाभि सीतारमैया का विचार था कि गाँधी जीराष्ट्रपिता हैं, पर स्वामी दयानन्द राष्ट्र–पितामह हैं।फ्रेञ्च लेखक रोमां रोलां के अनुसार स्वामी दयानन्द राष्ट्रीय भावना और जन-जागृति को क्रियात्मक रुप देने में प्रयत्नशील थे।अन्य फ्रेञ्च लेखक रिचर्ड का कहना था कि ऋषि दयानन्द का प्रादुर्भाव लोगों को कारागार से मुक्त कराने और जाति बन्धन तोड़ने के लिए हुआ था। उनका आदर्श है- आर्यावर्त ! उठ, जाग, आगे बढ़। समय आ गया है, नये युग में प्रवेश कर।स्वामी जी को लोकमान्य तिलक ने “स्वराज्य का प्रथम सन्देशवाहक” कहा।नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने “आधुनिक भारत का निर्माता” माना।अमरीका की मदाम ब्लेवेट्स्की ने “आदि शङ्कराचार्य के बाद "बुराई पर सबसे निर्भीक प्रहारक” माना।सैयद अहमद खां के शब्दों में “स्वामी जी ऐसे विद्वान और श्रेष्ठ व्यक्ति थे, जिनका अन्य मतावलम्बी भी सम्मान करते थे।”
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