Monday, June 22, 2015

उपासना काल में यह नियम बना लेना चाहिए कि -  पहला - अब मैं ईश्वर के अतिरिक्त किसी भी अन्य विषय का...

उपासना काल में यह नियम बना लेना चाहिए कि - 
पहला - अब मैं ईश्वर के अतिरिक्त किसी भी अन्य विषय का चिन्तन नहीं करूँगा,यदि कोई अति आवश्यक कार्य आ जाये तो उसे निपटाकर पुनः उपासना करें परन्तु अब वह विषय न हो केवल ईश्वर ही हो। 
दूसरा - मन को जड़ मानकर अपनी इच्छानुसार ही चलाना है ऐसा उसके मन में दृढ़ निश्चय हो। 
तीसरा - व्यक्ति प्रायः लौकिक विषयों में सुख और ईश्वर भक्ति व उपासना में दुःख मानता है। जब उसे पता चलता है कि ईश्वर में तो अनन्त सुख है और लौकिक सुख दुःखमिश्रित है तो वह लौकिक सुख को छोड़कर ईश्वर की इच्छा करता हुआ [उपासना करता है। अतः ऐसा ही करूँगा। 
स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक


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