२६ आश्विन 12 अक्टूबर 2015
😶 “परमात्मा ! ” 🌞
🔥🔥 ओ३म् हिरण्यगर्भं परममनत्युद्यं जना विदु: । 🔥🔥
🍃🍂 स्कम्भस्तदग्रे प्रासिञ्चद्धिरण्यं लोके अन्तरा ।। 🍂🍃
अथर्व० १० । ७ । २८
ऋषि:- अथर्वा: ।। देवता- स्कम्भ: ।। छन्द:- अनुष्टुप्।।
शब्दार्थ- लोग हिरण्यगर्भ को सबसे परली और जिसका अतिक्रमण कर उससे परे कुछ न कहा जा सके, ऐसी वस्तु समझते हैं, परन्तु उस हिरण्य को, तेजोमय वीर्य को तो प्रारम्भ में इस संसार के अन्दर जगदाधार परमेश्वर ने सिंचन किया है।
विनय:- इस विश्व का मूल खोजते हुए हम मनुष्य प्रायः हिरण्यगर्भ तक ही पहुँचते हैं। सब शास्त्रों में इसे जगत् का वह हिरण्यमय (चमकता हुआ) गर्भ माना है जिससे कि इस सब जगत् की उत्पत्ति हुई है। वैज्ञानिक लोग भी इस सौर-मण्डल की उत्पत्ति एक ऐसे ही हिरण्यमय-महातेज: पिण्ड से कहते हैं जिससे कि कालान्तर में पृथक् होकर ठन्डे हुए ये हमारे पृथिवी आदि सब ग्रह आज अपने अवशिष्ट सूर्य के चारों ओर घूम रहे हैं, परन्तु क्या इस हिरण्यगर्भ से भी परम् अन्य किसी तत्त्व को नहीं बताया जा सकता? एवं, वैयक्तिक जीवन के मूल में भी हम वीर्य (हिरण्य) को, वीर्य के अणु को ही जानते है, पर वीर्य के अणु में भी यह जीवन पैदा करने की शक्ति क्योंकर है, यह हम नहीं जानते हैं। सर्वारम्भ में इस वीर्य-अणु को किसने उतपन्न किया? इस विश्व के प्रारम्भ में तैजस सुक्ष्मलोक में उस हिरण्यगर्भ को किसने प्रकट किया? इसका उत्तर हम नहीं जानते। यह संसार बेशक सत्त्व,रज, तम का खेल है। तम से परे रज है और रज से परम् सत्त्व है, पर क्या सत्त्व का अतिक्रमण करके कही जा सकनेवाली, इससे परली और कोई शक्ति संसार में नहीं है? वह सत्त्व का हिरण्य भी जिसके आधार से चमकता है, है मनुष्यो! उस ‘स्कम्भ’ देव को तुम जानो। प्रत्येक सृष्टि के प्रारम्भ में जो हिरण्यगर्भ को भी प्रादुर्भूर्तू करता है और जो संसार की जीवन-प्रक्रिया को चालू कर देता है उस स्कम्भदेव को तुम जानो। इस ब्रह्माण्ड-शरीर की नस-नस में जो दिव्य वीर्य इसे जीवन देता हुआ सदा बह रहा है, वह उस स्कम्भ का ही सींचा हुआ है। इस ब्रह्माण्ड में जो भी कुछ जीवन देता हुआ सदा बह रहा है, वह उस स्कम्भ का ही सींचा हुआ है। इस ब्रह्माण्ड में जो भी कुछ जीवन, चैतन्य, प्राण, दिव्यत्व आदि दीख रहा है यह सब हिरण्य उसी स्कम्भ से आया हुआ है, अतः हे मनुष्यो! तुम उस जगदाधार स्कम्भ को ही परम और अनत्युद्य वस्तु समझो; अन्य किसी को नहीं।
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ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे
🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚
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