Friday, October 9, 2015

यजुर्वेद 8-30 (८-३०) पु॑रुद॒स्मो विषु॑रूप॒ ऽइन्दु॑र॒न्तर्म॑हि॒मान॑मानञ्ज॒ धीरः॑ ।...

यजुर्वेद 8-30 (८-३०)

पु॑रुद॒स्मो विषु॑रूप॒ ऽइन्दु॑र॒न्तर्म॑हि॒मान॑मानञ्ज॒ धीरः॑ । एक॑पदीन्द्वि॒पदीन्त्रि॒पदीञ्चतु॒ष्पदी॑म॒ष्टाप॑दीम्भुव॒नानु॑ प्रथन्ता स्वाहा॑ ॥

भावार्थ:- विवाह किये हुए स्त्री-पुरूषों को चाहिये कि गृहाश्रम की विद्या प्रकार जानकर उसके अनुसार सन्तानों को उत्पन्न कर मनुष्यों को बढ़ा और उन को ब्रह्मचर्य नियम से समस्त अंग-उपांग सहित विद्या का ग्रहण करा के उत्तम-उत्तम सुखों को प्राप्त होके आनन्दित करें।।

Pandit Lekhram Vedic Mission

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