२४ आश्विन 10 अक्टूबर 2015
😶 “परमेश्वर की मित्रता में अभय-प्राप्ति ! ” 🌞
🔥🔥 ओ३म् सख्ये त इन्द्र वाजिनो मा भेम शवसस्पते। 🔥🔥
🍃🍂 त्वामभि प्र णोनुमो जेतारमपराजितम् ।। 🍂🍃
ऋ० १ । ११ । २
ऋषि:- जेता माधुच्छन्दस: ।। देवता- इन्द्र: ।। छन्द:- अनुष्टुप् ।।
शब्दार्थ- हे बल के स्वामिन्! परमेश्वर! तेरी मित्रता में आकर बल-ज्ञान से युक्त हम अब भयभीत न हों, निर्भय हो जाएँ। सदा जीतनेवाले कभी भी पराजित न हो सकने वाले तेरे प्रति हम बार-बार सर्व प्रकार स्तुतिगान करते हैं।
विनय:- हे परम् ईश्वर!
तुम्हें अपना सखा जानकर अब संसार में और किसी से क्या डरना है। सब बल के स्वामी ‘शवसस्पति’ तो तुम हो। तुमसे बल-ज्ञान पाकर 'वाजी’ होकर कैसा डरना? तुम्हारा सहारा पकड़कर अब कैसा भय? अदूर भविष्य चाहे कितना अन्धकारमय दीख रहा हो, सामने चाहे कितना विकट संकट आता दीखता हो, फिर भी हम निर्भय हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि इस सबको यदि तुम चाहो तो एक क्षण में टाल सकते हो। जब तुमसे नाता जोड़ लिया, जब तुम्हारी राह में चल पड़े, तो दुःख-पीड़ा, अर्थनाश, सम्बन्धियों का वियोग, जग हँसाई आदि के सह लेने में क्या पड़ा है? तुम महाबली का नाम लेते हुए हम भारी-से-भारी अत्याचारों को हँसते-हँसते सहते जाते हैं। तुम्हारे प्यारे सच्चे मार्ग पर चलते हुए एक बार नहीं, लाख बार यदि मौत आये तो हम उसे भी आनन्दमग्न होकर स्वीकार करते जाते हैं। इनमें भी की क्या बात है? सचमुच, हे इन्द्र! तेरे सख्य को पाकर हम निर्भय हो गये हैं, दुर्लभ 'अभय’ पद को पा गये हैं, अभी बन गये हैं, पर इस उच्च अभय-अवस्था को प्राप्त होकर भी, हे स्वामिन्! हम कभी मन में अभिमान को कैसे ला सकते हैं? क्या हम नहीं जानते कि संसार की सब विजय तुम्हारे बल द्वारा ही प्राप्त हो रही हैं, तुम ही संसार में एकमात्र जेता हो, विजयी होनेवाले हो? तुम्हें, तुम्हारी शक्ति को संसार में और कोई नहीं पराजित कर सकता। यह अनुभव करते हुए, हे मेरे सखा! ज्यों-ज्यों हममें तुम्हें पाकर आत्माभिमान बढ़ता गया है, त्यों-त्यों हममें तुम्हारे प्रति नम्रता भी बढ़ती गई है। ज्यों-ज्यों तुम्हारी कृपा से हममें अभयता आती गई है, त्यों-त्यों तुम्हारे चरणों में भक्ति भी बढ़ती गई है। इसलिए हमें अभयपद प्रदान करनेवाले हे प्रभो! हम तुम्हें प्रणाम करते हैं।
हे जेत:! हे अपराजित!
हम तुम्हारा स्तुति-गान करते हैं। तुम्हारा नित्य निरन्तर गुण-कीर्त्तन करते हैं। ओह! तुम्हारा गुण-कीर्त्तन करते हुए हम कभी नहीं थकते, हम कभी नहीं थकते।
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ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे
🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚
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