“इस राष्ट्र में जन्मा कोई भी व्यक्ति राष्ट्र का पुत्र ही हो सकता है, पिता नहीं| - -
अथर्ववेद लिखने वालों ने इस भूमि को माँ और स्वयं को इसका पुत्र कहा, स्वयं प्रभु श्रीराम ने इस जन्मभूमि को जननी और स्वयं को इसका पुत्र कहा|
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मोहनदास करमचंद वेदों से और राम से बड़े नहीं हैं,,, वे राष्ट्र के पुत्र हो सकते है, राष्ट्रपिता नहीं…..”
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