मूर्ख पण्डितों के नकली मन्त्र
चौधरी अमरसिंह, ग्राम रोहणा, जिला रोहतक, हरियाणा के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। आपने जीवनभर अध्यापन और आर्यसमाज की सेवा की। बाल्यकाल से ही इनमें गायत्री मन्त्र के सीखने की तीव्र जिज्ञासा थी। किसी ने इनको बताया कि गायत्री मन्त्र के जप से बुद्धि बढ़ती है और भूतों का भय भी नहीं रहता। संयोगवश पास के ग्राम में एक पण्डित पहुंचे। बालक अमरसिंह भी पण्डितजी के पास पहुँच गया व गायत्री मन्त्र के लिए प्रार्थना की। पण्डितजी ने कहा कि एक मास तक सेवा करनी होगी। उसके बाद में गायत्री मन्त्र दे सकता हूँ। अमरसिंह ने एक मास तक सेवा करने का व्रत लिया। सेवा पूरी हो गयी। पण्डितजी फिर बोले कि 5 रुपए दक्षिणा देनी होगी। उस समय 5 रुपए का मूल्य आज के 500 के बराबर था। वह भी जैसे-तैसे दिये। मन्त्र देते हुए पण्डित ने कहा- देखो बेटा मन्त्र किसी को मत बताना, वरना तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा। अमरसिंह जी ने यह बात भी स्वीकार कर ली। सारी बातें पूरी होने पर एक अंट-संट वाक्य कान में फूँक दिया। मन्त्र लेकर अमरसिंह जी अपने घर आ गए और श्रद्धा भक्ति से पाठ करने लगे।
रामकृष्ण बलदेव दामोदर श्री माधव मधुसूदना।
कालीमर्दन कंसनिसूदन देवकीनन्दन तव शरना॥
एते नाम जपे निज मूला, जन्म-जन्म के दु:ख हरना॥
एक दिन आर्यसमाज के उपदेशक पण्डित शंभुदत्त जी रोहणा ग्राम में आर्यसमाज के प्रचारार्थ पहुंचे। रात्रि के प्रचार में पण्डित शंभुदत्त जी ने ग्रामवासियों से कहा कि “किस-किस को गायत्री मन्त्र याद है?” चौ० अमरसिंह खड़े होकर बोले मुझे याद है, परंतु मैं सुना नहीं सकता। “पण्डित जी ने कहा क्यों?” अमरसिंह बोला कि पण्डित ने मन्त्र किसी को भी नहीं बताने को कहा था। मन्त्र को बताने से सर्वनाश हो जाएगा। शंभुदत्त जी बोले तुम चिंता मत करो। जो तुम्हारी हानि होगी वह हम पूरा करेंगे। तुम मन्त्र सुना दो। अमरसिंह जी ने मन्त्र सुना डाला। यह कोई मन्त्र नहीं था बल्कि एक गवारु-सा वाक्य था। यह है हमारे देश की अवस्था! फिर पण्डित शंभुदत्त जी ने असली गायत्री मन्त्र का उपदेश दिया और अमरसिंह जी को 5 रुपए पुरस्कार में भी दिये।
ऐसे-ऐसे नकली मन्त्र हजारों की संख्या में है। एक अन्य का गायत्री मन्त्र यह था-
काला कपड़ा माथे फूल। देवता के ब्राह्मण हुए कबूल॥
आज भी जहाँ-जहाँ आर्यसमाज और वेदों का प्रचार नहीं है, वहाँ पर ऐसे-ऐसे मन्त्र दिए जाते हैं। पाखंडी, स्वार्थी, लोभी पोप (पण्डे) लोगों को गायत्री आदि मन्त्र व ईश्वर आदि विषयों पर बहकाकर खूब ठगते है।
नकली, पाखंडी, ढोंगी पण्डितों तथा साधुओं से दूर रहना चाहिए। वे अल्पशिक्षितों को बहकाते हैं और ठगते हैं।
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