Sunday, October 11, 2015

रामायण से(९) बरनाश्रम निज-निज धरम निरत बेद पथ लोग । चलहिं सदा पावहिं सुखहिं नहिं भय सोक न रोग ॥ सब...

रामायण से(९)
बरनाश्रम निज-निज धरम
निरत बेद पथ लोग ।
चलहिं सदा पावहिं सुखहिं
नहिं भय सोक न रोग ॥
सब लोग अपने-अपने वर्ण और आश्रम के अनुकूल धर्म में तत्पर हुए सदा वेदमार्ग पर चलते हैं और सुख पाते हैं ।उन्हें न किसी बात का भय है , न शोक है और न कोई रोग ही सताता है ।
#ध्यान दें—
*जो वेदमार्ग पर चलता है वह सुख पाता है ।
*उसे भय , शोक और रोग से दुख नहीं होता है ।


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