ओउम् प्रकर्ति माता नमः
हे आर्यो! आज से नवरात्रे आरम्भ हो रहे है। इनकी मान्यता माता के रूप में मनाते है। वह माता कौन सी है। मैं सोचता रहा। थोडा सा समझ आया तो वह आप से साँझा कर रहा हूँ। हमारी माता “प्रकर्ति” माता है। इसे हम अपने पिता “परमात्मा” की तरह अनादि तत्व मानते है। हम सब के शरीर इसी प्रकर्ति माता से बने है। इसी से पुस्टि प्राप्त करते है। ये माता-पिता आपस में लिपटे हुए है। ये सिर्फ प्रलय अवस्था में ही अलग होते है।अगर ये प्रकर्ति माता न हो तो पिता सृस्टि की रचना कहा से करते? ये पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चन्द्र,सूर्य आदि — के रूप में ये प्रकर्ति हमारी माता है। इसमें कितनी शक्तियाँ है। पिता का साथ मिलते ही ये प्रकर्ति माता कितनी शक्तिशाली हो जाती है।। बोलो! प्रकर्ति माता की जय!
——राजिंदर वैदिक
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