वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली (कबर)
मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली (लाश)
मिट्टी हस्से मिट्टी रोवे (इंसान)
अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे (जिस्म)
ना कर बन्दया मेरी मेरी,
ना आये तेरी ना आये मेरी,
चार दिना दा मेला दुनिया,
फ़िर मिट्टी दी बन गयी ढेरी,
ना कर एतथे हेरा फेरी,
मिट्टी नाल ना धोखा कर तू,
तू वी मिट्टी ओ वी मिट्टी…
जात पात दी गल ना कर तु,
जात वी मिट्टी पात वी मिट्टी,
जात सिर्फ खुदा दी उच्ची,
बाकी सब कुछ मिट्टी मिट्टी..!
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