Saturday, October 10, 2015

हम अक्सर बड़े लक्ष्य निर्धारित करते है, लेकिन इन लक्ष्यों को पूरा करने का तरीका पता नहीं होता है।...

हम अक्सर बड़े लक्ष्य निर्धारित करते है, लेकिन इन लक्ष्यों को पूरा करने का तरीका पता नहीं होता है। इसके लिए हम कुछ उपाय कर सकते है, जो निम्न है-
1. लक्ष्य को छोटे छोटे लक्ष्यों में बांटकर- क्या आप अपने घर की छत पर सीधे एक छलांग से जाते हो? नहीं ना। उसके लिए हमारें घर में सीढींया बनी होती है। और हम एक एक सीढी चढते हुए छत तक पहुंचते है। इसलिए यह जरूरी है कि हमारे जीवन का जो भी लक्ष्य हो, उसे भी छोटे छोटे पड़ावों मे बांटे। उदाहरण के लिए जैसे मैं एक प्रतिष्ठित लेखक बनना चाहता हूं, यह एक बहुत बड़ा लक्ष्य है। लेकिन मैंने इस बड़े लक्ष्य को बांट कर रखा है। जैसे कि मैं पहले बहुत सी किताबें पढूंगा और यह सीखूंगा कि लिखा कैसे लिखा जाता है, इसके बाद मैं लिखना शुरू करूंगा, फिर अपने लेख पत्रिकाओं और वेबपत्रिकाओं में प्रकाशित करवाउंगा, प्रतिष्ठित लेखकों से अपने लेखों की समीक्षा करवाउंगा और बहुत सारे लेख छपने के बाद मैं अपनी खुद की एक पुस्तक प्रकाशित करवाउंगा। यह मेरे लक्ष्य के छोटे छोट पड़ाव है जिन्हें मैं एकदम नहीं कम से कम पांच या आठ सालों में पूरा करना चाहता हूं। यह ध्यान रखे कि तेजी से मिली सफलता अस्थायी होती है, जबकि मेहनत से प्राप्त सफलता स्थायी होती है।

2. पूर्ण योजना के साथ- अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना है छोटे छोटे लक्ष्य बनाना। लेकिन इन छोटे लक्ष्यों की प्राप्ति करने के लिए भी हमें बहुत सी योजना पर काम करना होता है। जैसे लिखना सीखने के बाद जब लिखना शुरू करते है तो इस बात पर भी पूरा गौर करना होता है कि Readers को कौनसा विषय पढना अधिक पंसद है। उसकी पसंद और नापसंद की पड़ताल करने के साथ साथ और भी कई पहलूओं को देखना पड़ता है। अपने एक लक्ष्य को पूरा करके हमें अगले लक्ष्य के लिए योजनाएं बनानी चाहिए। और अगला लक्ष्य पूरा करते वक्त हमें अपनी पिछली योजना की कमियों को भी दूर करने का प्रयास करते रहना चाहिए।

3. अडिग विश्वास- अपनी उक्त योजना पर काम करते वक्त बहुत से लोग ऐसे समझने लग जाते है कि हम अपने लक्ष्य से भटक गए है। इसलिए वे आपकी आलोचना भी शुरू करते है लेकिन आप उस विजेता युवक की भांति योजनानुरूप आगे बढते जाए। अंत में विजय आपकी ही होगी। हां आपकों आलोचना और समीक्षा में फर्क समझना होगा। समीक्षा को गंभीरता से ले मगर आलोचना को हवा में जाने दे।

4. चलते जाए- जीवन में रूकने का नाम मृत्यु है। हमेशा चलने वाला ही विजय पाता है। जिस प्रकार ठहरा पानी कीचड़ बन जाता है, उसी तरह थक कर या निराश होकर बैठने वालें अपने जीवन को बर्बाद कर देते है। अपने लक्ष्यों को पूरा करने के बाद अगर आप विश्राम लेते है तो यह विश्राम आराम का नहीं बल्कि आगे की योजना पर विचार करने का समय होना चाहिए।

अब आप जान चुके है कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्या करना है? अडिग विश्वास के साथ पूरी योजना बनाते हुए छोटे छोटे पड़ावों मे अपने लक्ष्य को पूर्ण करके विजेता बनना है !!!
Rambachan Kushwaha
8800223392


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