Wednesday, March 25, 2015

कौन है असली ब्राह्मण पूर्वकाल में ब्राह्मण होने के लिए शिक्षा, दीक्षा और कठिन तप करना होता था। इसके...

कौन है असली ब्राह्मण

पूर्वकाल में ब्राह्मण होने के लिए शिक्षा,

दीक्षा और कठिन तप करना होता था।

इसके बाद ही उसे ब्राह्मण कहा जाता

था। गुरुकुल की अब वह परंपरा

नहीं रही। जिन लोगों ने

ब्राह्मणत्व अपने प्रयासों से हासिल किया था उनके

कुल में जन्मे लोग भी खुद को

ब्राह्मण समझने लगे। ऋषि-मुनियों की

वे संतानें खुद को ब्राह्मण मानती हैं,

जबकि उन्होंने न तो शिक्षा ली, न

दीक्षा और न ही उन्होंने

कठिन तप किया। वे जनेऊ का भी

अपमान करते देखे गए हैं।

जो ब्रह्म (ईश्वर) को छोड़कर किसी

अन्य को नहीं पूजता वह ब्राह्मण।

ब्रह्म को जानने वाला ब्राह्मण कहलाता है। जो

पुरोहिताई करके अपनी

जीविका चलाता है, वह ब्राह्मण

नहीं, याचक है। जो

ज्योतिषी या नक्षत्र विद्या से

अपनी जीविका चलाता है

वह ब्राह्मण नहीं,

ज्योतिषी है और जो कथा बांचता है

वह ब्राह्मण नहीं कथा वाचक है।

इस तरह वेद और ब्रह्म को छोड़कर जो कुछ

भी कर्म करता है वह ब्राह्मण

नहीं है। जिसके मुख से ब्रह्म शब्द

का उच्चारण नहीं होता रहता वह

ब्राह्मण नहीं।

ब्राह्मण न तो जटा से होता है, न गोत्र

से और न जन्म से। जिसमें सत्य है, धर्म है

और जो पवित्र है, वही ब्राह्मण है।

कमल के पत्ते पर जल और आरे की

नोक पर सरसों की तरह जो विषय-भोगों

में लिप्त नहीं होता, मैं उसे

ही ब्राह्मण कहता हूं।ॐ।




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