Tuesday, June 30, 2015

कांचीपुरम के 17वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ ‘राघवयादवीयम्’ एक अद्भुत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ...

कांचीपुरम के 17वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ ‘राघवयादवीयम्’ एक अद्भुत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। इसमें केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक। उदाहरण के लिए देखें :

अनुलोम :
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ 1 ॥

विलोम :
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ 1 ॥

अनुलोम :
साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।
पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ 2 ॥

विलोम :
वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।
राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ 2 ॥

क्या ऐसा कुछ अंग्रेजी में रचा जा सकता है ??? ….. न जाने कैसे कैसे नमूनो ने इस देश पर राज किया जिनको संस्कृत एक मरती हुई भाषा नज़र आती थी |

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