Sunday, June 14, 2015

ख्वाजा गरीब नवाज़, अमीर खुसरो, निजामुद्दीन औलिया, हाजी अली, मामा - भांजा की मज़ार, आदि - आदि की दरगाह...

ख्वाजा गरीब नवाज़,
अमीर खुसरो,
निजामुद्दीन औलिया,
हाजी अली,
मामा - भांजा की मज़ार,
आदि - आदि की दरगाह पर जाकर मन्नत मांगने वाले सनातन धर्मी हिन्दू लोगों के लिए विशेष :-

पूरे देश में स्थान स्थान पर बनी कब्रों, मजारों या दरगाहों पर हर वीरवार को जाकर शीश झुकाने व मन्नत करने वालों से कुछ प्रश्न :-

क्या एक कब्र जिसमें मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चुकी है वो किसी की मनोकामना पूरी कर सकती हैं ?
ज्यादातर कब्र या मजार उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजों का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने प्राण धर्म की रक्षा करते हुए बलि वेदी पर समर्पित कर दिये थे ?

क्या हिन्दुओं के भगवान श्री राम जी, श्री कृष्ण अथवा देवी - देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक है ?
जब गीता में श्री कृष्ण जी महाराज ने कहाँ है कि कर्म करने से ही सफलता प्राप्त होती हैं तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा ?

यान्ति देवव्रता देवान्
पितृन्यान्ति पितृव्रताः
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्तमद्याजिनोऽपिमाम

अर्थात, श्रीमदभगवत गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भूत प्रेत, मुर्दा, पितृ (खुला या दफ़नाया हुआ अर्थात् कब्र,मजार अथवा समाधि) को सकामभाव से पूजने वाले स्वयं मरने के बाद भूत- प्रेत व पितृ की योनी में ही विचरण करते हैं व उसे ही प्राप्त करते हैं l
भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा, बंदा बहादुर, गुरु गोबिंद सिंह, भगवन बुद्ध, महावीर स्वामी, स्वामी विवेकानंद आदि वीरों की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता हैं ? तो भला हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालों की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते हैं ?क्या संसार में इससे बड़ी मूर्खता का प्रमाण आपको कहीं मिल सकता है ?

हिन्दू कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की पूजा कर प्राप्त कर रहे हैं जो वेदों-उपनिषदों-पुराणों-स्मृतियों आदि में कहीं नहीं कही गयीं हैं
कब्र, मजार पूजा को हिन्दू मुस्लिम सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओं
को अँधेरे में रखना नहीं तो क्या हैं ? सेक्युलरता तो ये तब हो न, जब मुस्लिम भी वहाँ शीश झुकाएं । सूफी समाज इस्लाम की मुख्यधारा का हिस्सा नहीं है, अर्थात वे उन्हें मुस्लिम नहीं मानते।
आशा है आपकी बुद्धि में कुछ प्रकाश हुआ होगा
अगर आप आर्य राजा श्री राम और श्री कृष्ण जी महाराज की संतान हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण अंधविश्वास को छोड़ दें और अन्य हिन्दुओं को भी इस बारे में बता कर उनका अंधविश्वास दूर करें व आप अपने धर्म को जानिए l इस अज्ञानता के चक्र में से बाहर निकलिए l

विशेष : - पृथ्वी राज चौहान की समाधि पर कंधार, अफगानिस्तान में अभी हाल ही तक भी जूते चप्पल मारे जाते थे । जब तक एक हिन्दू वीर ने बड़ी चतुराई से उनकी अस्थियां वहां से भारत भेज कर माँ गंगा को अर्पण नहीं कर दीं । परंतु आज भी वे लोग उस बिना अस्थियों वाली कब्र पर अपने जूते - चप्पल ही झाड़ कर मोहम्मद गौरी की मज़ार में जाते हैं ।


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