Thursday, January 14, 2016

मकर संक्रांति की आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं💐💐💐 १ माघ 14 जनवरी 2016 😶 “ हम...

मकर संक्रांति की आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं💐💐💐

१ माघ 14 जनवरी 2016

😶 “ हम तेरे हो गये ! ” 🌞

🔥🔥 ओ३म् वयं घा ते त्वे इद्विन्द्र विप्रा अपि ष्मसि । 🔥🔥
🍃🍂 नहि त्वदन्य: पुरुहूत कश्चन मघवत्रस्ति मर्डिता ।। 🍂🍃

ऋक्० ८ । ६६ । १३

ऋषि:- कलि: प्रागाथ: ।। देवता- इन्द्र: ।। छन्द:- विराड्बृहती ।।

शब्दार्थ- हे परमेश्वर!
हम निश्चय से तेरे हैं और मुझमें, तेरे आश्रय से ही हम ज्ञानी, विप्र भी होवें।हे बहुतों से पुकारे गये! हे ऐश्वर्यवाले! तुझसे अन्य कोई सुख देनेवाला निश्चय से नहीं है।

विनय:- हे परमेश्वर!
हम तेरे हैं, निश्चय से तेरे हैं। हम सोच-समझकर तेरे हो चुके हैं, अपने-आपको तुझे समर्पित कर चुके हैं और अब तुझमें ही रहना चाहते हैं, तुझमें ही अपना सब आत्मविकास पाना चाहते हैं। ज्ञानी, विप्र भी हम तुझमें, तेरे आश्रय से ही होना चाहते हैं। वह ज्ञान तो नहीं है, निरा अज्ञान है, जो तेरे आश्रय से उत्पन्न नहीं हुआ है। ऐसी विप्रता को, ऐसी पण्डिताई को हम क्या करेंगे, जो हमें तुझसे दूर करनेवाली हो? उससे तो मूर्खता भली है। हमें पण्डित कहलाने की, ब्राह्मण कहलाने की, विद्वान कहलाने की तनिक भी इच्छा नहीं है, यदि यह तुझसे दूर हटने से मिलती हो। हम तो संसार के प्रत्येक ज्ञान में, प्रत्येक कर्म में, प्रत्येक बात में पहले यह देख लेते हैं कि उसमें तेरा अवलम्बन है या नहीं। जिसमें तेरा अवलम्बन, तेरा निवास नहीं होता उससे हमारा कुछ भी मतलब नहीं रहता, फिर वह वस्तु इस संसार मे चाहे बड़े-से-बड़ा धन हो, बड़ी-से-बड़ी सेना हो, बड़े-से-बड़ा साम्राज्य हो। हमारे लिए यह सब नि:स्सार है, क्योंकि हमने खूब अच्छी प्रकार जान लिया है कि इस संसार में तेरे सिवाय और कहीं सुख नहीं है, तेरे सिवाय इस संसार में और कोई सुख देनेवाला नहीं है, दे सकनेवाला ही नहीं है। हमने संसार की एक-एक वस्तु को परख-परखकर देख लिया है कि जहाँ तू नहीं है वहाँ कहीं भी सुख नहीं है तो हे पुरुहूत! हे सदा सबसे बहुत बार पुकारे गये प्रभो! तुझे छोड़कर हम और कहाँ जाएँ? हम तो इसलिए हे मघवन! तेरे होकर शान्त हो गये हैं। तेरे हो गये हैं, पूरी तरह तेरे हो गये हैं।

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ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे

🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚


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