Saturday, January 2, 2016

जी नमस्ते,                        2 जनवरी 2016 लीजिए, एक दिन के अंतराल के बाद,  अब हमारा...

जी नमस्ते,                        2 जनवरी 2016

लीजिए, एक दिन के अंतराल के बाद, 

अब हमारा दिल, आपको एक और बात याद दिलाना चाहता है। 

अच्छा, याद कीजिए वो दिन, जब आप छोटे बच्चे थे। 

शिक्षक आपको कलम से 'अक्षर लिखना' सिखाया करते थे। 

सवाल उठता है कि, क्या पहली बार में ही आप, बहुत अच्छे से लिख पाए थे? 

यकीनन जवाब होगा- नहीं। 

लेकिन जैसे-जैसे आपने 'प्रयास' किया, लिखने में सुधार होता चला गया।

और सिर्फ लेखन में ही नहीं, जिन-जिन चीजों का आपने'अभ्यास' किया, 

उन-सब चीजों को बखूबी करना, आपको आ गया। 

और आगे चलकर, प्रयास के सहारे से आप, स्थिरता से अपने काम में 'टिके-जमे-लगे' रहे। 

प्रयास की बदौलत, आपने बहुत 'ज्ञान’, 'प्रशंसा' और 'प्रोत्साहन'अर्जित किया।

इन उपलब्धियों से आप बहुत 'आनंदित' हुए 

और ऐसा करते-करते, आप अपने कार्य में 'निपुण' बन गए, 

या दूसरे शब्दों में कहें, माहिर हो गए। बहुत खूब ओ मित्र।

देखिए! आपके जीवन के इसी अनुभव से, यहाँ एक बात निकलकर सामने आ चुकी है। 

और वह बात, सब जगह लागू होती है। 

वह यह कि, लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास करने से 'सफलता'मिलती है। 

आपने यह भी देखा होगा कि, 

प्रयास न करने वालों के हाथ में, झाड़-झंकाड़, खरपतवार और कबाड़ ही आता है। 

आप अपने जीवन के अनुभव से यह भी सीख चुके हैं कि, 

मनचाही सिद्धि के लिए हाथ पर हाथ धरकर बैठने की नहीं, 

जुटकर कार्य करने की जरुरत होती है। 

सच कहा है, ’‘फसल, हथेली पर नहीं उगा करती।’’

इसलिए अभी आप, एक 'वादा' कीजिए। 

कोशिश पर पूरा भरोसा करके, उसके जरिए अपने जीवन को सफल बनाते जाने का वादा। 

और इसी कोशिश की मदद से 

'अस्थिरता’, 'नुकसान’, 'गम' और 'बंधन' रूपी कांटों को भी 

अपनी जि़न्दगी से हटाते जाने का वादा। 

सिर्फ यही 'उपलब्धि' तो, आपके जीवन में देखना चाहते हैं हम। 

और इसीलिए तो हमने अभ्यास-विषयक ’'सफलता विज्ञान सुविचार श्रृंखला’' का दूसरा सुविचार लिखा है।

जिसे आपको सादर अर्पित करते हुए, अति-आनंदित हो रहे हैं हम ||


धन्यवाद !


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