Wednesday, January 20, 2016

|| सत्यार्थ प्रकाश प्रथम प्रकाशित कब और कहाँ हुआ ??? वर्तमान में पौराणिक मित्र इस प्रश्न को बार-बार...

|| सत्यार्थ प्रकाश प्रथम प्रकाशित कब और कहाँ हुआ ???

वर्तमान में पौराणिक मित्र इस प्रश्न को बार-बार उठा रहे है कि सत्यार्थ प्रकाश प्रथम प्रकाशित कब और कहाँ हुआ इसके पीछे उनकी भावनाए क्या है उनके मस्तिष्क में क्या चल रहा है ये तो वो ही जाने |

हमारा कार्य तो उनके प्रश्न का उत्तर देना है जो हम आगे दे रहे हैं ||

१* सत्यार्थ प्रकाश का प्रथम प्रकाशन संवत् १९३१ के अन्त अथवा सन् १८७५ के आरम्भ में हुआ था ||

२* प्रथम प्रकाशन के मुदर्णकर्त्ता थे लाला हरवंशलाल, अधिपति स्टार प्रेस, काशी ||

३* प्रथम प्रकाशन के प्रकाशक थे उत्तर-प्रदेशस्थ मुरादाबाद नगर वास्तव्य राजा जयकृष्णदास ||

४* प्रारम्भ में उसकी मूल प्रति राजाजी के घर सुरक्षित रही हैं | संवत् २००४ में परलोकगत श्री बाबू हरबिलास शारदाजी ने उसकी फोटो-प्रति ले ली थी | यह अब परोपकारिणी सभा के कार्यलय में सुरक्षित हैं ||

५* प्रारम्भ में जब सत्यार्थ प्रकाश प्रकाशित हुई तब उसमें १२ समुल्लास छपे बाद के दो समुल्लास किसी कारण वश नहीं छापे गये थे ||

प्रश्न:-
बाद के २ समुल्लास बाद में ही लिखे गये हैं, जो स्वामी जी ने नहीं लिखे ???

उत्तर:-
नहीं ऐसा नहीं हैं |

प्रश्न:-
आपके पास क्या प्रमाण हैं कि बाद के दो समुल्लास स्वामी जी ने ही लिखे हैं ???

उत्तर:-
स्वयं सत्यार्थ प्रकाश |

प्रश्न:-
कैसे ?

उत्तर:-
सत्यार्थ प्रकाश के कई समुल्लास में इन बाद वाले दोनों समुल्लास का की चर्चा आयी हैं जिसके कुछ प्रमाण हम यहा नीचे रखते हैं आप पढ़ लेवे ||

प्रमाण १:-
सत्यार्थ प्रकाश सप्तम समुल्लास, विषय- वेद ईश्वरकृत हैं अन्यकृत नहीं

“…इस प्रकार के वेद हैं अन्य बाईबल, कुरान आदि पुस्तकें नहीं | इसकी स्पष्ट व्याख्या बाइबल और कुरान के प्रकरण में ‘तेरहवें और चौदहवें समुल्लास में की जाएगी |”

प्रमाण २:-
सत्यार्थ प्रकाश नवम समुल्लास, विषय- मुक्ति प्रंसग

“जैनी (१२) बारहवें, ईसाई (१३) तेरहवें और (१४) चौहदवें समुल्लास में मुसलमानों की मुक्ति आदि विषय विशेष कर लिखेंगे |”

प्रमाण ३:-
सत्यार्थ प्रकाश दशम समुल्लास, विषय- समुल्लासों के विषय में(अन्तिम पृष्ठ पर)

“…इन चारों में से प्रथम समुल्लास में आर्यावर्त्तीय मतमतान्तर, दूसरे में जैनियों के, तीसरे में ईसाइयों और चौथे में मुसलमानों के मतमतान्तरों के खण्डण मण्डण के विषय में लिखेंगे |”

अतः अब तो आपको स्पष्ट हो गया होगा की पूर्ण सत्यार्थ प्रकाश ही स्वामी दयानन्द सरस्वती कृत हैं और बाद के समुल्लास भी प्रारम्भ से ही ग्रन्थ में हैं ||

ओ३म्…!

पाखण्ड खण्डण |
वैदिक मण्डण ||

S. Media लेखक– आर्यन “द फ्यूहरर”


from Tumblr http://ift.tt/1OwDgAz
via IFTTT

No comments:

Post a Comment