Saturday, December 26, 2015

१२ पौष 26 दिसम्बर 2015 😶 “ सच्चा स्वामी ! ” 🌞 🔥🔥 ओ३म् को नानाम वचसा...

१२ पौष 26 दिसम्बर 2015

😶 “ सच्चा स्वामी ! ” 🌞

🔥🔥 ओ३म् को नानाम वचसा सोम्याय मनायुवी भवति वस्त उस्त्रा: । 🔥🔥
🍃🍂 क इन्द्रस्य युज्यं क: सखित्वं को भ्रात्रं वषिष्ठ कवये क ऊती ।। 🍂🍃

ऋक् ४ । २५ । २

ऋषि:- वामदेव: ।। देवता- इन्द्र: ।। छन्द:- स्वराट्पडित्त।।

शब्दार्थ- सोम के योग्य इन्द्र के लिए कौन वाणी द्वारा नमन करता है ? अथवा कौन है जो उस इन्द्र के मनन करने की इच्छावाला होता है ? कौन उसकी किरणों व गौओं को धारण करता है ? कौन इन्द्र के साथ की,कौन उसकी मैत्री की या भ्रातृभाव की कामना करता है ? कौन उस क्रान्तदर्शी इन्द्र के लिए कान्ति,प्रीटी व् भक्ति को रखता है ?

विनय:- यह दुनिया किधर जा रही है? क्या करना चाहिए और क्या कर रही है? लोग ना जाने किन-किन जड़ और चेतन मूर्त्तियों के सामने झुकते हैं, पर कौन है जो अपने प्रभु परमेश्वर के सामने झुकता है? उस अमूर्त्त के सामने भौतिक रूप से झुकना तो हो ही नहीं सकता,मानसिक और बाहरी वाणी से ही हो सकता है,तो कौन है जो उस प्रभु के सम्मुख वाणी द्वारा,विचार द्वारा व् प्राथना द्वारा नम्र होता है? वह तो सोम्य है,हमारे सम्पूर्ण सोम का पात्र हाउ । हमें अपने सब भोग्य पदार्थ को , अपने सब ऐश्वर्य पदार्थ को उसके सामने झुका देना चाहिए,पर उस जगत के एकमात्र स्वामी का भी हममें से कौन है जो सच्चा पूजन करता है? उसका मनन करना तो दूर कौन है जो उसके मनन करने का इच्छुक होता है? कौन है जो इन इन्द्रियों को या इन शरीर को उस इंद्र के समझकर वस्त्र की तरह ओढ़ता है ।
हम इस दुनिया में नाना प्रकार के लोगों को अपना भाई बन्धु,मित्र सखा,अपना साथी संघी बनाते फिरते है मनाते है पर कौन है जो उस इश्वर को अपना साथी बनाना चाहता है? उस सर्वज्ञ इश्वर के लिए कौन है जो इतनी प्रीति भक्ति रखता है
ओह !
इस संसार में हम अँधाधुन्ध अपने काम करते जा रहे है,पर जो इस संसार का असली स्वामी है जो हमारा सब कुछ है, उसकी ओर हम कुछ भी ध्यान नहीं दे रहे है । हम क्या कर रहे है?


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ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे

🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚


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