Wednesday, December 23, 2015

यजुर्वेद ९-३१ (9-31) अ॒ग्निरेका॑क्षरेण प्रा॒णमुद॑जय॒त्तमुज्जे॑षम॒श्विनौ॒ द्व्य॑क्षरेण द्वि॒पदो॑...

यजुर्वेद ९-३१ (9-31)

अ॒ग्निरेका॑क्षरेण प्रा॒णमुद॑जय॒त्तमुज्जे॑षम॒श्विनौ॒ द्व्य॑क्षरेण द्वि॒पदो॑ मनु॒ष्या॒नुद॑जयता॒न्तानुज्जे॑षम् । विष्णु॒स्त्र्य॑क्षरेण॒ त्रीँल्लो॒कानुद॑जय॒त्तानुज्जे॑ष सोम॒श्चतु॑रक्षरेण॒ चतु॑ष्पदः प॒शूनुद॑जय॒त्तानुज्जे॑षम् ॥

भावार्थ:- जो सब प्रजाओं को अच्छे प्रकार बढ़ावे तो उसको भी प्रजाजन क्यो न बढ़ावें और जो ऐसा न करे तो उसको प्रजा भी कभी न बढ़ावे।।
सम्पूर्ण अर्थ पदार्थ सहित पढने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

http://ift.tt/1OLwQuR

Pandit Lekhram Vedic Mission

http://ift.tt/1SX5fKO

www.aryamantavya.in

www.onlineved.com

http://ift.tt/18FvwLS

subscribe our you tube channel

https://www.youtube.com/channel/UCse408AHhefms2Fj2dUxD_g


from Tumblr http://ift.tt/1mAAYXQ
via IFTTT

No comments:

Post a Comment