Tuesday, December 29, 2015

ईश्वर और अल्लाह में क्या भेद है ? अल्लाह के गुण :- (१) सातवें आस्मान पर रहता है । (२) अरबी भाषा में...

ईश्वर और अल्लाह में क्या भेद है ?
अल्लाह के गुण :-
(१) सातवें आस्मान पर रहता है ।
(२) अरबी भाषा में बात करता है ।
(३) भुलक्कड़ है कुछ भी बोलकर बाद में भूल जाता है ।
(४) कुत्तों से नफरत करता है । सूअरों को गंदा समझता है ।
(५) अपने आपको साबित करने के लिए बार बार कसमें खाता फिरता है ।
(६) मूर्तीपूजकों से चिढ़ता है, उनके लिए जहन्नुम की आग और पत्थर बनाता है ।
(७) औरतों का बड़ा शौकीन है ।
(८) मुसलमानों को जन्नत में औरतें सप्लाई करने का काम करता है । ( दल्लाह )
(९) दिन में कम से कम पांच बार मौलवीयों की बांग ( आज़ान ) बड़े शौंक से सुनता है ।
(१०) खुद भूल जाता है कि वो खुद एक अल्लाह है और किसी दूसरे अल्लाह की कसमें खाने लग जाता है ।
(११) खुद ही काफिरों को गुमराह करता है और खुद ही उनको सज़ा भी देता फिरता है ।
(१२) अपने सारे काम फरिश्तों से करवाता फिरता है ।
# ईश्वर_के_गुण :-
(१) निराकार और सर्वव्यापक है । कण कण में है ।
(२) उसका ज्ञान सर्वत्र होने से प्रकृति के मूल संकेत वैदिक संस्कृत में हैं ।
(३) उसका ज्ञान अनन्त है ।
(४) सभी जीवात्माओं पर दया करता है , न्याय करता है ।
(५) अपने विराट रूप से स्वयं ही सूर्य की भांती सिद्ध है ।
(६) किसी प्रतिमा में नहीं आता , और प्रत्येक व्यक्ति का कल्याण करता रहता है ।
(७) निर्लेप है कभी बन्धन में नहीं आता ।
(८) पुण्य करने वालों को सुख और पाप करने वालों को दुःख कर्मों अनुसार देता है ।
(९) योगाभ्यास से चित शांत किए योगियों के हृदय में प्रकाशमान होता है ।
(१०) सूर्य की भांती अपने से ही सिद्ध है, नित्य और सनातन ।
(११) यथायोग्य न्याय करता है और सबको सत्य धर्म में आने की शिक्षा सदा करता रहता है ।
(१२) सर्वव्यापक अनंत ज्ञानमय होने के कारण वह सभी कार्य पूर्ण करने में समर्थ है ।
( नोट :- आज के बाद कभी मत कहना कि ईश्वर और अल्लाह एक है )


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1 comment:

  1. महानुभाव!!
    आप का ये सन्देश आप की ग्रसित व् रोगी मानसिकता को दर्शाता है. दूसरों के इष्ट के बारे में ऎसी अनुचित और झूठी
    बातें लिखना ठीक नही. इस्लाम के विषय में आप का ज्ञान बहुत सीमित तो है ही परन्तु उस से अधिक चिंता का विषय है
    आप का द्वेष और घृणा के सागर में नख शिखान्त डूबे होना. नफरत के इस समंदर से बाहर निकल आइये वरना मरणोपरांत नहीं
    आप अभी से अपनी खुद की बनायी जहन्नुम में हर पल भस्म होते रहेंगे. घृणा, द्वेष और साम्प्रदायिकता की राजनीति करने वालों से सावधान रहिये. इस नफरत और जहालत को देख कर बहुत से सोचने समझने और पढने लिखने वाले हिन्दू युवक और युवतियां इस्लाम में दाखिल हो रहे हैं. कदाचित आप को ज्ञात नहीं की इस्लाम और वेद का सन्देश एक ही है. "न तस्य प्रतिमा अस्ति....एकं सत्यम!!" आप की इन बातों से इस्लाम और तीव्र गति से भारत वर्ष में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में फैल रहा है. मैं आप का एक भारतीय बंधू और सर्व जन हित समाज वादी शुभ चिन्तक हूँ. कृपया मुझे अपशब्द कह कर या फिर किसी सम्प्रदाय का अपमान कर के स्वयं को छोटा मत बनाइये. ईश्वर आप को सदभावना दे और सदा सुखी रखे.

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