Wednesday, December 30, 2015

माँ के पेट में आया तब एक मिलीग्राम वजन भी नहींथा… जब पेट से बाहर आया तब चार किलो के लगभग...

माँ के पेट में आया तब एक मिलीग्राम वजन भी नहींथा…
जब पेट से बाहर आया तब चार किलो के लगभग था…
जब कमाने लायक यानि 25 वर्ष का हुआ तब वजन 67 किलोग्राम था…
आज 75 के लगभग हो गया है…
उस एक मिलीग्राम से भी कम वजन से जो 4 किलो हुआ था,वह माता के रक्त को सोखकर हुआ…
उसके बाद 67 किलोग्राम का पिता के पुरुषार्थ रूप से उसका भी रक्त शोषण करके इतना बड़ा हुआ… और अब जब 75 किलो हो गया, यह भी माता के पुरुषार्थ और देखभाल का ही नतीजा है…
तात्पर्य यह है कि माता-पिता से ही हमारा पूरा वजूद है… सारे के सारे हम उनके कर्ज तले दबे पड़े हैं… और उस पर भी यदि हम उनकी आज्ञा पालन न करें…
उन्हें कडवा बोले… उन्हें कुछ समझे ही नहीं…उन्हें कहें कि तुम लोगों ने किया ही क्या है… तो फिर हम जैसा नीच अधम प्राणी इस धरा पर कोई नहीं…
अतः अपने माता-पिता और पितृगण से इतना प्रेम और सम्मान करो जितना स्वयं अपनी आत्मा का भी न करते हो अर्थात अति विनम्र सरल बिछे हुए रहो सदा उनके आगे…. यही सन्तान धर्म है…यही धर्म है…यही कर्तव्य है…


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