Tuesday, April 5, 2016

उज्जैन कुम्भ और ईसाई मिशनरी उज्जैन में सिंघस्थ कुम्भ का आयोजन होने जा रहा है। भेड़ की खाल में...

उज्जैन कुम्भ और ईसाई मिशनरी

उज्जैन में सिंघस्थ कुम्भ का आयोजन होने जा रहा है। भेड़ की खाल में भेड़िये के रूप में ईसाई मिशनरी इस अवसर पर हिन्दुओं को बरगलाने का प्रयास करेगी। मिशनरी किस प्रकार से कार्य करती हैं। यह जानने की अत्यन्त आवश्यकता है। हिन्दू समाज मिशनरी के कार्य करने के तरीकों से बहुत कुछ सीख सकता है। ईसाई समाज द्वारा विभिन्न प्रकार से वृत्तचित्र बनाकर, अलग अलग शोध पत्र लिखकर, अनेक पुस्तकें लिखकर, अनेक परिचर्चा आदि के माध्यम से विश्व के समक्ष कुम्भ की नकारात्मक छवि बनाई जाएगी।

कुछ उदहारणों के माध्यम से हम ईसाईयों के इस षड़यंत्र को समझने का प्रयास करते हैं।

1. विदेशी मिशनरी को हर हिन्दू उत्सव में पर्यावरण प्रदुषण दीखता है। जैसे दीवाली पर पटाखे और होली पर पानी की फिजूलखर्ची। वैसे ही कुम्भ के आयोजन में भी उन्हें पर्यावरण प्रदुषण दिखेगा। कुम्भ में होने वाले हज़ारों यज्ञों को पर्यावरण प्रदुषण से जोड़ा जायेगा। करोड़ो लोग एक स्थान पर एकत्र होंगे तो उनके मल-मूत्र से भूमि एवं जल प्रदुषण होगा। ऐसा दिखाया जायेगा। यह खेल पर्यावरण रक्षा करने वाली विभिन्न NGO के माध्यम से किया जायेगा।

समीक्षा-कुम्भ तो केवल एक माह चलेगा। विश्व में सबसे अधिक प्रदुषण मांसाहार से होता है। केवल शाकाहार अपनाने से सम्पूर्ण विश्व में भारी संख्या में प्रदुषण कम होगा। यज्ञ से पर्यावरण रक्षा पर किसी प्रकार का शोध नहीं किया जाता और अगर किया भी जाता हैं तो उसके परिणामों को आगे नहीं आने दिया जाता।

2. सुधार के नाम पर कुम्भ को महिला विरोधी दिखाया जायेगा। कुम्भ में महामंडलेश्वर पदों पर पुरुष पर्याप्त संख्या में रहते हैं। ऐसे में विदेशी NGO इसे भी नारी जाति पर अत्याचार, नारी के अधिकारों का दमन के रूप में प्रदर्शित करेंगे। हाल में होली पर होलिका जलाने को भी नारी जाति पर अत्याचार करने वाला दिखाया गया है।

समीक्षा- चर्च व्यवस्था में सम्पूर्ण महत्वपूर्ण पदों पर पुरुष विद्यमान है। बाइबिल आदि तो बहुत काल तक नारी को पुरुष की पसली से पैदा हुआ मानने के कारण नारी में रूह (आत्मा) का न होना तक मानते रहे हैं। यूरोप के इतिहास में लाखों नारियों को चुड़ैल कहकर जिन्दा अनेक यातनाएं देकर जला दिया गया। चर्च ने कभी इन कुकृत्यों पर क्षमा नहीं मांगी। सत्य है अपना घर किसी को दीखता नहीं औरों के यहाँ पर सबको कमी दिखती हैं।

3. कुम्भ को जातिवादी करार दिया जायेगा। ऐसा दिखाया जायेगा की कुम्भ मेले में आने वाले सभी महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए लोग केवल ब्राह्मण हैं। अनुसूचित जन-जातियों एवं दलितों को कुम्भ में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता। महिषासुर को भी दलित करार देकर हिन्दुओं को अत्याचारी दिखाया जा रहा है।

समीक्षा- चर्च के इस कदम का मुख्य उद्देश्य तोड़ों और धर्म परिवर्तन करो की नीति हैं। ईसाई सदा से अनुसूचित जन-जातियों एवं दलितों को बरगला कर ईसाई बनाने की फिराक में रहते हैं। छुआछूत को समाप्त करने से ईसाईयों का यह प्रयास असफल होगा।

4. धार्मिकता को अश्लीलता में बदलने का प्रयास किया जायेगा। वेद आदि धर्मशास्त्रों के अनुपम सन्देश को दरकिनार कर विदेशी मीडिया में कुंभ को अश्लील सिद्ध करने का प्रयास किया जायेगा। पहले नागा साधुओं के चित्रों को विदेशी अख़बारों में एलियंस (दूसरे ग्रहों के विचित्र प्राणी) के रूप में चित्रित किया जायेगा। फिर कुम्भ मेले में उन्मुक्त सम्बन्ध जैसा व्यर्थ प्रलाप किया जायेगा। उदहारण के लिए नासिक कुम्भ में Times of India अख़बार में समाचार छपा था कि कुम्भ मेले के दौरान कंडोम की मांग कई गुना बढ़ गई । अंग्रेजी अख़बारों में ऐसी खबरों को पढ़कर शिक्षित हिन्दू युवा कुम्भ मेले से या तो नफरत करने लगेगा अथवा भोगवादी हो जायेगा।

समीक्षा-ईसाई समाज को अपने भीतर चर्च में फैले योन शोषण, पादरियों द्वारा ननों से बलात्कार आदि कभी नहीं दीखते। अपनी शर्म छिपाने के लिए दूसरों को दोष देना ठीक नहीं हैं।

5. दुकानदारी और व्यवसाय। पाठक सोच रहे होंगे की इस षड़यंत्र को करने के लिए विदेशियों के पास धन किधर से आता हैं। चर्च के व्यवसायिक मॉडल को समझने की हिन्दुओं को अत्यन्त आवश्यकता हैं। चर्च हर कार्य को प्रोफेशनल तरीकें से करता हैं, पहले चर्च अपना धन बहुराष्ट्रीय कंपनियों में लगाता है। उदहारण के लिए Church of England का अरबों पौण्ड इन कंपनियों में लगा हैं। फिर उन्हीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत जैसे देशों में व्यवसाय करने हेतु भेज देता है। देश की अनेक कंपनियों में चर्च विदेश निवेश के नाम पर पैसा लगाता हैं। मीडिया ग्रुप्स में भी चर्च पैसा लगाकर उनसे अपने समर्थन में काम कराया जाता हैं। कुम्भ मेले के दौरान ट्रेवल एजेंसियों, उपभोक्ता केंद्रों आदि के माध्यम से वही से धन कमाता है और वही पर खर्च करता हैं। इस मॉडल को समझने से हिन्दू समाज सम्पूर्ण विश्व में वेदों के सन्देश का प्रचार कर सकता हैं।

समीक्षा- स्वदेशी अपनाने से ईसाईयों के व्यापार की कमर सदा के लिए टूट सकती हैं। हिन्दुओं को भी इसी तरीकें से ईसाईयों को हिन्दू धर्म में दीक्षित करना चाहिए। स्वदेशी से विदेशी ताकतों का यह षड़यंत्र निश्चित रूप से असफल हो सकता है।

6. सेवा प्रकल्प- ईसाई लोग सेवा प्रकल्प के मुखोटे लगाकर कुम्भ में प्रचार करते हैं। जैसे बीमारों आदि के लिए चिकित्सा सुविधा मदर टेरेसा की मिशनरी ननें देंगी। उससे अपरिपक्व हिन्दू जनमानस के मन में इनके प्रति आदर और सम्मान भाव पनपता हैं। इसका दीर्घकालिक परिणाम यह निकलता है कि इनके ईसाई धर्मान्तरण जैसे कुकृत्यों पर हिन्दू समाज मौन धारण कर लेता हैं और अपने भाइयों को विधर्मी बनने देता हैं।

समीक्षा- हिन्दू संगठनों को अपने खुद के सेवा प्रकल्प खोलने चाहिए। ईसाईयों के सेवा की आड़ में किये गए धर्मांतरण के कुचक्र को सभी के समाने प्रकाशित करना चाहिए।

ऐसे अनेक सन्दर्भ हम यहाँ पर दे सकते है। जिनसे चर्च कुम्भ मेलों में अपना सुनियोजित षड़यंत्र कैसे चलाता हैं। पहले से सावधान होकर कार्य करने से इस सुनियोजित षड़यंत्र को नष्ट किया जा सकता हैं।

हिन्दू समाज को क्या करना चाहिए-

1. कुम्भ में वेद आदि धर्म शास्त्रों का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
2.शिवाजी, महाराणा प्रताप, बन्दा बैरागी, हरि सिंह नलवा जैसे महान क्षत्रियों, स्वामी दयानन्द, स्वामी श्रद्धानन्द, लाला लाजपत राय सरीखे महान समाज सुधारकों, राम प्रसाद बिस्मिल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्र शेखर आज़ाद सरीखे महान क्रांतिकारियों के जीवन का कुम्भ मेलों में सिनेमा द्वारा मंचन होना चाहिए।
3. अखाड़ों के नागा साधुओं के माध्यम से शाही स्नान को लेकर वाद-विवाद जैसी बातों को पहले ही सुलझाया जाना चाहिए। उसके स्थान पर ठोस धर्म प्रचार को महत्व देना चाहिए।
4. मुसलमानों और ईसाईयों पर कुम्भ में कार्य करने पर नियंत्रण होना चाहिए। निस्स्वार्थ भाव से कार्य करने वालो को ही अनुमति होनी चाहिए।
5. हिन्दुओं को धार्मिक, सदाचारी बनने, संगठित होने एवं छुआछूत मिटाने का संकल्प दिलवाना चाहिए।
6. 1200 वर्षों में मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा किये गए अत्याचारों से हिन्दुओं को परिचित करवाया जाना चाहिए।
7. गोवा जैसे प्रदेश में ईसाईयों द्वारा किये गए मतान्ध अत्याचार से हिन्दुओं को परिचित करवाया जाना चाहिए।

आप अपने विचार और अनुभव अवश्य लिखे। अच्छा लगे तो शेयर अवश्य कीजिये।

उज्जैन कुम्भ में वैदिक धर्म प्रचार हेतु जो भी युवा अपना सहयोग देना चाहते हैं मुझसे संपर्क करें।

डॉ विवेक आर्य

#KumbhMela2016


from Tumblr http://ift.tt/1MaOuxj
via IFTTT

No comments:

Post a Comment