Tuesday, April 5, 2016

ओ३म् उद्यानं ते पुरूष नावयानम् || (अथर्व• ८/१/६) हे मनुष्यो ! ऊपर उठो, आगे बढ़ो,...

ओ३म्

उद्यानं ते पुरूष नावयानम् || (अथर्व• ८/१/६)

हे मनुष्यो !
ऊपर उठो, आगे बढ़ो, उन्नति करो, नीचे मत गिरो, पतन की ओर मत जाओ ।


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