Tuesday, April 5, 2016

आम बातचीत: GUY1:भाई मोदी सचमे बहुत काम करते हैं! GUY2:क्यों बे?तू देखने जाता है क्या? GUY1:आप गये थे...

आम बातचीत:
GUY1:भाई मोदी सचमे बहुत काम करते हैं!
GUY2:क्यों बे?तू देखने जाता है क्या?
GUY1:आप गये थे क्या देखने की वो 18 घंटे काम नही करते?
GUY2:अबे चल!फेंकू केवल फेंक सकता है,कर कुछ नही सकता!
GUY1:किस आधार पर?
GUY2:अबे देखा नही?न 15 लाख रू आये,न काला धन आया।और तो और दंगे इतने हो गये की पूछो मत!इतनी असहिष्णुता फैला दी फेंकू ने की क्या बताऊ?
GUY1:अच्छा एक बात बताओ,ये काला धन देश से बाहर कब गया होगा?
GUY2:लगे ही होंगे 10-12 साल!
GUY1:तब क्या मोदी केंद्र में थें?
GUY2:नही,मनमोहन थें!
GUY1:तो जब इस देश से बाहर वो पैसे जा रहे थें,तब आप क्या कर रहे थें?
GUY2:अबे छोड़ो!यही बोलकर वोट पाया PM बना और अब दोगलापन कर रहा है!
GUY1:अच्छा जरा ये बताओ,60 साल किसकी सरकार थी?
GUY2:कांग्रेस की!
GUY1:तो 60 साल जब वो थें सत्ता में तो सारा इलज़ाम मोदी पर क्यों?
GUY2:अरे कांग्रेस ने इंदिरा गाँधी,राजीव गाँधी की आहुति दी है!
GUY1:84 सिख दंगों,भागलपुर दंगों,70 के दशक के आपातकाल की आहुति भी कांग्रेस ने ही ली थी!भूल गये?
GUY2:अरे वो वक्त कुछ और था,ये वक्त कुछ और है!
GUY1:नही!वो वक्त गांधियों का था,ये वक्त मोदी का है!
GUY2:संघी होते ही दंगेबाज़ हैं साले!
GUY1:क्यों?गोधरा काण्ड संघियों का था क्या?
GUY2:गुजरात दंगा तो था!
GUY1:गुजरात दंगे की वजह क्या थी?क्या सिर्फ मुस्लमान मरे वहाँ पर?
GUY2:मौत तो मौत होती है!क्या मुस्लिम क्या हिन्दू?
GUY1:तो फिर दादरी और मालदा पर इतना फर्क क्यों?
GUY2:अरे?मालदा पर राजनीती से हिंसा और भडक सकती थी!
GUY1:तो फिर दादरी पर नही भड़कती?
GUY1:नही
GUY2:क्यों?
GUY1:क्योंकि वो अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म था!
GUY2:तो क्या मालदा में सिर्फ इसलिए चुप रहा जाए क्योंकि वो अल्पसंख्यकों द्वारा मेजोरिटी पर हुआ ज़ुल्म था?क्या दोगली बात कर रहे हो आप?
GUY1:अरे कांग्रेस को देश चलाना आता है!बीजेपी को नही!
GUY2:कोईऐसी कांग्रेसी सरकार बताओ जिसमे घोटाले न हुए हों?
GUY1:अरे इतना बड़ा सन्गठन है!होते होंगे 10-15 उलटी खोपड़ी वाले!
GUY2:तो क्या ये बात भाजपा पर लागू नही होती?
GUY1:नही!क्योंकि वो हिंदुत्व को आगे बढ़ाती है!और देश सेक्युलर है!
GUY2:ये कौन सा सेकुलरिज्म है की “भारत माता की जय!” पर फतवा लग जाता है और एक मुस्लिम नेता अमनातुल्ला खान दिल्ली के मुसलमानों को भड़काता है और कोई कार्यवाही नही?
GUY1:अरे इससे साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है!
GUY2:जी नही परम सेक्युलर आत्मा!साम्प्रदायिक सौहार्द नही अपितु सेकुलरिस्टों का वोट बैंक बिगड़ सकता है!

हर दल को गरिया उसी से हाथ मिला सरकार में बैठने वाली कांग्रेस का खुद का सिद्धांत क्या है?प्रशांत पुजारी की मौत और कोई रोना नही लेकिन अख्लाक की मौत पर सब उसके घर!ओवैसी भारत माता की जय नही बोलता।कहता है सम्विधान में नही लिखा!अरे संविधान में तो अल्लाह हु अकबर बोलना भी नही लिखा,मगर कहते हो न?क्योंकि अपने धर्म पर तुम्हारी आस्था है,देश पर नही!हर वक्त मोदी को गालियाँ देने में तुम्हारी आस्था है मगर देश की प्रगति पर तुम्हारी आस्था नही!

हिन्दुओं की उपेक्षा सेकुलरिज्म नही!हरा झंडा जितनी शान से एक इन्सान इस देश में लहरा सकता है भगवा भी उतनी ही शान से लहराएगा!
और आप जैसे लोगों पर ही तरस आता है जिनकी आँखों पर विरोध के लिए विरोध करो की पट्टी लगी है!

आप और कुछ नही हो साहब!अगले डॉ नारंग हो!

क्योंकि यदि कल कुछ कट्टरपंथियों ने आपको शिकार बनाया तो कोई नही आएगा आपके लिए क्योंकि आप नही गयें किसी के लिए!खूब खेलो सेकुलरिज्म में भईया!इस देश की मीडिया देशद्रोहियों के लिए अपनी स्क्रीन भी काली कर सकती है और जरूरत पड़ने पर अपना मूंह भी!और हाँ!आगे से बिना दिमाग खोले बहस मत करियेगा!आप ही जैसे लोग हैं की ये देश इतना लूटा गया है!


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