Friday, June 23, 2017

प्रश्न) मुक्ति किसको कहते हैं? (उत्तर) ‘मुञ्चन्ति पृथग्भवन्ति जना यस्यां सा मुक्तिः’ जिस में छूट...

प्रश्न) मुक्ति किसको कहते हैं?
(उत्तर) ‘मुञ्चन्ति पृथग्भवन्ति जना यस्यां सा मुक्तिः’ जिस में छूट जाना हो उस का नाम मुक्ति है।
(प्रश्न) किस से छूट जाना?
(उत्तर) जिस से छूटने की इच्छा सब जीव करते हैं?
(प्रश्न) किस से छूटने की इच्छा करते हैं?
(उत्तर) जिस से छूटना चाहते हैं?
(प्रश्न) किस से छूटना चाहते हैं।
(उत्तर) दुःख से।
(प्रश्न) छूट कर किस को प्राप्त होते और कहां रहते हैं?
(उत्तर) सुख को प्राप्त होते और ब्रह्म में रहते हैं।
(प्रश्न) मुक्ति और बन्ध किन-किन बातों से होता है?
(उत्तर) परमेश्वर की आज्ञा पालने, अधर्म, अविद्या, कुसङ्ग, कुसंस्कार, बुरे व्यसनों से अलग रहने और सत्यभाषण, परोपकार, विद्या, पक्षपातरहित न्याय, धर्म की वृद्धि करने पूर्वोक्त प्रकार से परमेश्वर की स्तुति प्रार्थना और उपासना अर्थात् योगाभ्यास करने विद्या पढ़ने, पढ़ाने और धर्म से पुरुषार्थ कर ज्ञान की उन्नति करने सब से उत्तम साधनों को करने और जो कुछ करे वह सब पक्षपातरहित न्यायधर्मानुसार ही करे। इत्यादि साधनों से मुक्ति और इन से विपरीत ईश्वराज्ञाभङ्ग करने आदि काम से बन्ध होता है।
(प्रश्न) मुक्ति में जीव का लय होता है वा विद्यमान रहता है।
(उत्तर) विद्यमान रहता है।
(प्रश्न) कहां रहता है?
(उत्तर) ब्रह्म में।
(प्रश्न) ब्रह्म कहां है और वह मुक्त जीव एक ठिकाने रहता है वा स्वेच्छाचारी होकर सर्वत्र विचरता है?
(उत्तर) जो ब्रह्म सर्वत्र पूर्ण है उसी में मुक्त जीव अव्याहतगति अर्थात् उस को कहीं रुकावट नहीं विज्ञान, आनन्दपूर्वक स्वतन्त्र विचरता है।

साभार -सत्यार्थप्रकाश


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