Saturday, June 10, 2017

*ओ३म्* *🌷अनुपम उपदेश🌷* *🌻स्वदोष दर्शन-*परमात्मा उसका भला करे जो मेरे दोषों का ज्ञान कराता...

*ओ३म्*

*🌷अनुपम उपदेश🌷*

*🌻स्वदोष दर्शन-*परमात्मा उसका भला करे जो मेरे दोषों का ज्ञान कराता है।

*🌻आश्चर्य की बात:-*आश्चर्य है उस मानव पर जिसे मृत्यु का निश्चय है और फिर भी पापासक्त है।आश्चर्य है उस इन्सान पर जो संसार को नाशवान जानता है फिर भी उसमें फंसा है,आश्चर्य है उस मनुष्य पर जो ईश्वर विश्वासी हो और फिर भी चिन्तातुर रहे।आश्चर्य है उस बुद्धिमान पर जो दुर्गति से बचना चाहति है और फिर भी दुष्कर्म करता है।आश्चर्य है उस व्यक्ति पर जो ईश्वर भक्त होकर भी उसके स्थान पर दूसरी वस्तु का पूजन करे,आश्चर्य है ऐसे योगी पर जो मुक्ति का इच्छुक है और विषयों में लीन है।

*🌻दुष्ट:-*बुरे लोगों की जिस प्रकार चाहे परिक्षा कर ले,सांप और बिच्छुओं से कम न पायेगा।

*🌻भगवान की व्यापकता:-*हे मानव यदि तू पाप का इच्छुक है तो ऐसे स्थान की खोज कर जहां भगवान् न हो।

*🌻भक्ति:-*हे मानव:-यदि तू उसकी भक्ति नहीं करना चाहता तो उसकी बनाई वस्तु का प्रयोग तथा उपभोग भी न कर।पशु अपने मालिक को पहचानता है किन्तु आश्चर्य है,इन्सान अपने भगवान को नहीं पहचानता।

*🌻विपत्ति:-*प्रभु की और से जो विपत्ति हम पर आती है वह हमारे कल्याण के लिए ही आती है।विपत्ति से घबरा जाना सबसे बड़ी विपत्ति है।

*🌻निन्दा-*बुरों की बुराई करना निन्दा नहीं है अपितु भलों की बुराई करना निन्दा है।

*🌻सज्जन-दुर्जन:-*सज्जन का स्वभाव है जब कोई कठोरता से बरते तो कठोर हो जाता है और जब कोई नम्रता से बरते तो नम्र हो जाता है।इसके विपरित दुर्जन का स्वभाव है कि जब कोई नम्रता से बरते तो कठोर हो जाता है और कठोरता से बरते तो नम्र हो जाता है।

*🌻अपना सम्मान:-*जो अपनी कदर आप नहीं जानता,उसकी कदर कोई दूसरा मनुष्य भी नहीं पहचानता।चाहे कोई तेरी कदर न भी करे तो नेकी को बन्द मत कर।

*🌻कृपा पात्र कौन?:-*वह विद्वान जो मूर्खों के आदेश से काम करे।(2) वह सज्जन जिस पर दुर्जन शासक हो (3) वह गुणवान जो निर्गुणियों के आधीन हो।
ये तीनों सर्वाधिक कृपा के पात्र हैं।

*🌻अनिष्ट वस्तुएं:-*विद्वानों में कुकर्म (2) हाकिमों में लोभ (3) धनवानों में कृपणता (4) स्त्रियों में निर्लज्जता (5) वृद्धों में व्यभिचार।पांचों पर प्रभु की मार।

*🌻क्रोध और अभिमान:-*जब तक तेरे अन्दर क्रोध और अभिमान है तब तक अपने को ज्ञानियों में मत समझ-क्योंकि तू मूर्ख ही है।

*🌻सम्मान:-*दूसरों का सम्मान न करने वाला प्रभु तथा प्रजा दोंनो का कोप पात्र होता है।

🌻ओ भोले,मकानों के बनाने में आयु व्यतीत कर रहा है ।बसेंगे दूसरे और हिसाब देगा तू।

*🌻उससे डर:-*जो उस से डरता है उससे सारा संसार डरता है।

*🌻भाग्यशाली:-*भाग्यशाली वह है जो नेकी करे और डरे।भाग्यहीन वह है जो बदी करे और सर्वप्रिय होने की आशा करे।

*🌻दिल दुखाना:-*नास्तिकता के पश्चात सबसे बड़ा पाप किसी का दिल दुखाना है।

*🌻सुकर्म:-*सुकर्मियों को ईश्वरीय ज्ञान की प्राप्ति होती है और कुकर्मी उससे वंचित रहते हैं।

*🌻मन की मलीनता:-*तीन वस्तुएं मन की मलीनता को प्रकट करती हैं-
(1) ईर्ष्या करना (2) दिखावा करना, (3) अपने को बडा तथा दूसरे को छोटा समझना।

*🌻निर्धनों की उपेक्षा:-*वह सहभोज सबसे निकृष्ट है जिसमें धनवान बुलाये जाएं और निर्धनों की उपेक्षा की जाए।

*🌻स्त्री से व्यवहार:-*स्त्री के साथ सदव्यवहार कर।स्वयं कष्ट सह परन्तु उसे कष्ट न दे।
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-जय तनेजा जी, पानीपत


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