Saturday, June 10, 2017

नमस्ते जी, शुभ संध्या। भविष्य को परिवर्तित नहीं किया जा सकता, जो तय है वह...

नमस्ते जी,
शुभ संध्या।

भविष्य को परिवर्तित नहीं किया जा सकता, जो तय है वह अवश्यम्भावी है। यदि कुछ परिवर्तित हो सकता है तो वह है मनुष्य की दैनिक दिनचर्या, उसका दृष्टिकोण, उसके आचार-विचार तथा व्यवहार, उसका जीवन लक्ष्य। इतना विश्वास मन में रखना चाहिए कि उपरोक्त पर यदि नियंत्रण कर लिया जाये तो निश्चित ही भविष्य को भी परिवर्तित किया जा सकता है। हमारा आज अर्थात् वर्तमान ही भविष्य का सटीक निर्धारण करता है। यदि जीवन में, भविष्य में कुछ पृथक परिवर्तन की आशा करते हैं तो सर्वप्रथम स्वयं से ही प्रारंभ करना होगा। संयमित रहें! पहले स्वयं को बदलें फिर परिवार को बदलें और अंत में समाज को।

🕉 *ईश्वर सदैव हमारे संग हैं* 🕉


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