Sunday, August 12, 2018

*वृक्षादि में जीवात्मा ??- भाग तीन*- डा मुमुक्षु आर्य १. पेड पौधों में जीवात्मा नहीं होती। इनमें...

*वृक्षादि में जीवात्मा ??- भाग तीन*

- डा मुमुक्षु आर्य


१. पेड पौधों में जीवात्मा नहीं होती। इनमें जीवन होता है। ऋषि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश के १३ वे समुल्लास में ८१ वी समीक्षा में लिखा है- ‘वृक्ष जो जड पदार्थ है उसका क्या अपराध था कि उसको शाप दिया और वह सूख गया ।’ जहां स्पष्ट रुप से स्वामी दयानंद जी ने वृक्ष को एक जड पदार्थ कहा है ।स्ववमन्तव्मयाप्रकाश में भी उन्होंने कहीं नहीं लिखा कि पेड पौधों में जीवात्मा होती है ।


२. ब्राह्मण्ड में खरबों खरबों जीव जन्तु, पशु पक्षी व नर नारी हैं । प्रत्येक का शरीर खरबों खरबों कोशिकाओं का बना हुआ है । हर कोशिका को जीने के लिये खुराक व प्राण वायु आक्सीजन चाहिये । किसी कारण इसमें अवरोध उत्पन्न हो जाये तो ये कोशिकाएं मर जाती हैं । जब तक इन कोशिकाओं को रक्त के माध्यम से खुराक व आक्सीजन मिलती रहती है ये जीवन्त हैं living है। शरीर के भीतर प्रत्येक अंग प्रत्यंग व नस नाड़ी भी भिन्न भिन्न प्रकार की कोशिकाओं की बनी हुई है । इन कोशिकाओं को जिन्दा रहने के लिये आक्सीजन चाहिये खुराक चाहिये परन्तु किसी जीवात्मा की आवश्यकता नहीं । जिगर गुर्दा हृदय वा दिमाग के किसी भाग को रक्त मिलना बन्द हो जाये तो वह भाग मर जाता है । हृदयघात (heart attack ) वा लकवा हो जाने का भी यही कारण होता है ।


३.अण्डकोषों में अरबों खरबों शुक्राणु बनते रहते हैं उनके सिर धड पूंछ होती है और वह गर्भ में मादा अण्डे को मिलने के लिये एक ही दिशा में गति करते हैं। ये शुक्राणु भी जीवन्त कोशिकाओं के बने हुये होते हैं । अब कोई कहे कि इन सब कोशिकाओं में जीवन जीवात्माओं के कारण है तो यह बडा हास्यास्पद होगा । वास्तव में जहाँ जीवन है वहाँ हर जगह आत्मा का होना आवश्यक नहीं । जहाँ आत्मा है वहाँ तो जीवन है ही। इसी प्रकार पेड पौधों में व घास के तिनकों आदि में जीवन है परन्तु जीवात्मा नहीं । जैसे अन्य प्राणियों के शरीरों की कोशिकाओं को जीने के लिये खुराक व आक्सीजन चाहिये वैसे ही इन पेड पौधों को भी जीने के लिये हवा पानी रोशनी व खुराक चाहिये ।


४. यदि किसी शास्त्र का कोई श्लोक वा मंत्र का भाष्य यह कहता है कि जीव अपने दुष्कर्मों का फल भोगने के लिये पेड पौधों में जाकर गहन निद्रा में सोया रहता है तो समझ लेना वहां अर्थ करने में वा समझने में अवश्य कुछ भूल हो रही है । शास्त्रीय प्रमाणों में कहीं तो वृक्षों में केवल जीवन कहा है कहीं जीव तो कहीं विरोधाभास है। परन्तु हमारा अन्त:करण तो वृक्षों में जीवन ही मानता है जीव नहीं । इस मत को विभिन्न तर्कों से प्रमाणित भी किया है। पंडित गंगा प्रसाद उपाध्याय जी वेदादि शास्त्रों के अच्छे विद्वान व प्रखर बुद्धि के धनी थे । उन्होंने एक पुस्तक लिखी है- हम क्या खायें घास या मांस। इसमें इस विषय पर प्रश्नोत्तर शैली मे वहुत लम्बी चर्चा है और सिद्ध किया है कि पेड पौधों में जीवात्मा नहीं होती ।


५. पाणिनि व्याकरण अनुसार जीवात्मा में जीव शब्द है, वह जीव् प्राण धारणे धातु से बना है प्राण धारण करने से वृक्षादि में जीवात्मा है, यदि इस आधार पर वृक्षों में जीवात्मा है तो रक्त के लाल कणों (RBC) में भी जीवात्मा होनी चाहिये क्योंकि वह भी प्राणवायु आक्सीजन को धारण करते हैं ।इन लाल कणों की संख्या खरबों में है और इनकी आयु लगभग चार माह होती है।


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