Thursday, August 30, 2018

**** आत्मीकोन्नति होने से खुशी, शांति और सुख मिलता है. यदि त्रिगुण को संयम करेगा तो त्रिकरण शुद्ध...

**** आत्मीकोन्नति होने से खुशी, शांति और सुख मिलता है.

यदि त्रिगुण को संयम करेगा तो त्रिकरण शुद्ध होते हैं, तो आत्मा का वुन्नति होती है।

त्रिगुण 1: सत्वगुण = जिन में सत्वगुण होता है वे सभी लोगोंसे मधुर भाषण करता है. सोच-समज के बात करता है. बूढी अच्छी काम करती है. ज्ञान से परमात्मा से जुड़े रहते है.

2 राजोगुण : कठिन से बात करते है. अनवसर बाते ज्यादा करते है. भुद्धि और ज्ञान कम। परमात्मा से जुड़े रहना आलस्य होता है.

3 रजोगुण : सब लोगोंकी गलतियों की गिनती रहती है। सब लोगोंकी गलतियों की लिस्ट बना के रख के हमेशा वो लिस्ट देखते सोचते रहते है.

दूसरोंके बात तीसरेको बोलते- तीसरे के बात दूसरे को बोलते रहते है. इसमें इनको राक्षस आनंद मिलता है.

अनवसर भाषण ज्यादा करते है. अभूत कल्पन, भ्रम के बात करते है. सबसे कठिन व्यवहार करते है. यिन को भुद्धि और ज्ञान नहीं रहता. इनको परमात्मा मिलना दुर्लभ है.

**त्रिकरण शुद्धि. मनमे क्या सोच रहे है वही बातों में रहना- बातों में क्या बोली वही काम करना.

**इस लिए महर्षि दयानन्द कहा…

हर दिन १ घंटा ध्यान करना.

हर दिन संध्या करना.

ध्यान और संध्या करने वालोंको द्वेष ही नहीं रहता.

**संध्या करने वाले के मुँह में प्रसन्नता और ब्रह्मत्व रहता।

**संध्या करने वाले सबसे प्रीतिपूर्वक व्यवहार करता है. हसमुख रहता.

**मधुर भाषा होती.

**संध्या करने वाले कभी कपट व्यवहार नहीं करता.

——हरिदास आर्य

वैदिक पुरोहित, योगाचार्य, नित्याग्निहोत्री,

आयुर्वेद और नीति विद्या बोधक.

इन्दुर (निज़ामाबाद, ), तेलंगाना.

सेल : ९८४९२ ५९०११

*****आर्यों से विनती है… की हमारा घर में वेद, शास्त्र, वउपनिषद आदि पुस्तक है. आप सबको सादर आह्वान.


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