रात्रि के समय स्मरण करने वाले 6 मन्त्रों में पहला: शिवसंकल्प मन्त्र 1
यज्जाग्रतो दूरमुदैति दैवं तदु सुप्तस्य तथैवैति ।
दूरंगमं ज्योतिषां ज्योतिरेकं तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ॥१॥
जो रहता है जाग्रत और दूर-दूर तक जाता है|
सोया रहकर भी ऐसे ही जाकर वापस आता है|
दूर-दूर वह जाने वाला सब तेजों का ज्योतिनिधन|
सदा समन्वित शुभसंकल्पों से मन मेरा बने महान|
रात्रि के समय स्मरण करने वाले 6 मन्त्रों में पहला
यहां यह कहा गया है कि यह जो मन है यह सदैव जाग्रत अवस्था में रहता है और दूर दूर तक कहीं भी चला जाता है।
यह सोते हुए भी स्वप्नावस्था में ऐसे ही दूर दूर तक जाता है और फिर वापस भी आ जाता है।
दूर दूर तक की पहुंच वाला यह मन सब प्रकार के तेजों का ज्योतिनिधान है।
सब इन्द्रियों को भी यह मन ही नियंत्रित करता और कर सकता है।
यह मन ज्ञान का प्रकाशक है।
हे परमात्मा!! सदा ही शुभ संकल्पों और अच्छे विचारों से मेरा यह मन महान बने…..
यह छ शिवसंकल्प मन्त्रों पर रोज़ विचार किया करें तो ये 6 मन्त्र आत्मनिरीक्षण का बहुत अच्छा माध्यम हैं|
from Tumblr http://ift.tt/1A2KIJh
via IFTTT
No comments:
Post a Comment