हिन्दूओं ने स्वतन्त्रता के लिये कुर्बानियाँ दीं थी ताकि ऐक हजार वर्ष की गुलामी से मुक्ति होने के पश्चात वह अपनी आस्थाओं और अपने ज्ञान-विज्ञानको अपने ही देश में पुनः स्थापित कर के अपनी परम्पराओॆ के अनुसार जीवन व्यतीत करें। किन्तु आज बटवारे के सात दशक पश्चात भी हिन्दूओं को अपने ही देश में सिमिट कर रहना पड रहा है ताकि यहाँ बसने वाले अल्प-संख्यक नाराज ना हो जायें। हिन्दू धर्म और हिन्दूओं का प्राचीन ज्ञान आज भी भारत में उपेक्षित तथा संरक्षण-रहित है जैसा मुस्लिम और अंग्रेजों के शासन में था। हिन्दूओं की वर्तमान समस्यायें उन राजनैतिक कारणों से उपजी हैं जो बटवारे के पश्चात भारत के सभी शासकों ने अपने निजि स्वार्थ के कारण पैदा किये।
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