Monday, March 9, 2015

रक्तबीज का हुआ आगमन जगदम्बा की नगरी में मुफ़्ती तेरे प्राण बसे हैं आतंकवाद की गगरी में तुम बोले कि...

रक्तबीज का हुआ आगमन

जगदम्बा की नगरी में


मुफ़्ती तेरे प्राण बसे हैं

आतंकवाद की गगरी में


तुम बोले कि लोकतंत्र को

उग्रवाद ने बचा लिया


जैसे शेरो को

कुत्तों की औलादो ने चबा लिया


तेरी बेटी का हरण हुआ था

कुछ मांगे मनवाने में


चार भेड़िये छोड़े हमने

उसके प्राण बचाने में


अब सत्ता के मद में हो तो

अहंकार में झूल गए


नमकहरामी में भारत के

अहसानों को भूल गए


हिदुस्तानी तन में

पाकिस्तानी जात दिखा ही दी


गद्दी पर आकर गद्दारों ने

औक़ात दिखा ही दी


वो पशु भी तुमसे श्रेष्ठ रहा

जो आँखे नहीं मिलाता है


एक रोटी डाली तो कुत्ता

दिन भर पूँछ हिलाता है


अलगाववाद की नीति सदा ही

घातक और विध्वंशक है


ये मुफ़्ती आतंकवाद का

पोषक और प्रशंशक है


राष्ट्रवाद के सपने अब

बर्बाद दिखाई देते हैं


सब आतंकी मुफ़्ती के

दामाद दिखाई देते हैं


लेकिन कैसा परिवर्तन है

अबकी पी एम मोदी में


राष्ट्रवाद लाचार पड़ा है

आतंकवाद की गोदी में


राष्ट्रवाद के प्रखर ताप से

एक इतिहास बना देते


जो अफज़ल की लाश मांगते

उनको लाश बना देते


देश प्रेम का दम भरते थे

जो भी नायक दिल्ली से


सत्ता की लोलुपता में

वो बन गए भीगी बिल्ली से


बीजेपी बिन राष्ट्रवाद के

खड़ी नहीं हो सकती है


कोई कुर्सी भारत माँ से

बड़ी नहीं हो सकती है


वो चाँद सितारे वाले झंडे

घाटी में लहराते हैं


और इधर ये सिद्धांतों से

समझोता करते जाते हैं


मोदी जी अब राष्ट्रवाद का

महका चन्दन छोड़ो जी


गर छप्पन इंची सीना है तो

गठबंधन तोड़ो जी


(कृपया समय से अपने लोगो तक भेजो जिस से कि मोदी जी तक ये तुरंत पहुंचे और उनके अंदर का मोदी जाग जाए)




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