Tuesday, March 24, 2015

अपूर्ण आरक्षण में मानती हु की आरक्षण से sc/st वर्ग को बहुत लाभ प्राप्त हुआ हे। और वो आज समाज के हर...

अपूर्ण आरक्षण

में मानती हु की आरक्षण से sc/st वर्ग को बहुत लाभ प्राप्त हुआ हे। और वो आज समाज के हर वर्ग के साथ खड़ा रह कर अपने अधिकारो का उपयोग भी कर रहे हे। खास कर सरकारी नोकरियो और राजनीती के साथ साथ अन्य क्षेत्रो में आरक्षण के माध्यम से जबरन अपना आधिपत्य स्थापित करने में सफल रहे।

आरक्षण को स्वतंत्रता के पश्चात कुछ समय के लिए सामाजिक एकता और समानता को ध्यान में रखते हुए लागु किया गया था। परंतु अब ये नाशुर के रूप में हमारे समाज और देश में फेल चुका हे।

वर्तमान में ना सिर्फ इसके मायने बदल गए। बल्कि काफी हद तक एक खास तबका दूसरे तबके में बदले की भावन जेसे साफ साफ़ नजर आ रही हे। आज आरक्षण का मूल लाभ कमजोर और मजबूर जातिया ना उठा कर सक्तिशाली और संपन्न लोग उठा रहे हे। और गरीब आज भी गरीब हे। उसे दो वक़्त की रोटी तक नशीब नहीं होती हे। क्यू की उनको सिस्टम की जानकारी नही हे। कुछ जातियां जिनको आरक्षण से कोई लेना देना नहीं। चाहे वो सरकारी क्षेत्र हो या राजनेतिक ये जातिया आज भी अपने अस्तित्व को लेकर जुंझ रही हे। आज एक मेहनतकस इंसान के मुह का निवाला छिन कर उसे उसके अधिकारो से वंछित रखा जाता हे। और उसे एक ऐसे ईन्सान के अंदर काम करने को मजबूर किया जाता जो योग्यता में उससे कही कम हे। जिसके 90’/, हो वह मामूली मुलाजिम और 35-40’/, वाला ऑफिसर बन कर देश का क्या भला कर देंगे और इए कहा का न्याय हे। और इस तरह से कैसे समानता स्थापित की जा सकती हे। क्या इए पॉलिसी आज देश की तरक्की में बाधक नहीं हे? और क्या इए अन्याय नही हे?एक मेहनतकस विद्यार्थी के साथ। फिर समानता कहा रही। और इस प्रकार देश कैसे तरक्की करेगा? जो मूल रूप से उच्च पद के योग्य हे । और वो पूर्ण काबिलियत रखता हे। उस पद पर रहने की, परंतु उस स्थान पर एक ऐसे व्यक्ति को स्थापित कार दिया जाता हे। जो एक पियोंन के योग्य हे। इसका परिणाम क्या होगा, इये हम वर्तमान में देखा ही रहे हे। यही हाल राजनीति में भी हे। जिस जाती की जनसख्या अधिक हे। उसे ही राजनिति में बने रहने का अधिकार प्राप्त स्वत ही हो जाता हे बाकी की जातिया बेचारी अपने अस्तित्व को लेकर आज भि चिन्तितहे। ये घोर असमानता नहीं तो और क्या हे।

आज आरक्षण के आवरण तले योग्यता जाने कहा लुप्त हो गई हे। वर्तमान में समाज का वास्तविक ढांचा धूमिल होता नजर आ रहा हे। हर वो व्यक्ति जो आरक्षण का लाभ उठा सकता हे। वो ज़मीन से उठ कर आसमान की तरफ देखता हे। अच्छी बात हे। पर क्या ये पूर्ण न्याय हे मानवता के साथ। आज योग्यता सिर्फ वोट बैंक के रूप में पहचानी जाती हे। आज वो ही जाती विशेष राजनीती में अपने पावँ पसार पाती हे, जिसका जनबल अधिक हो। बाकि सब मुह ताकते रह जाते हे। क्या ये लोकतंत्र पर और उसके भविष्य पर प्रश्न चिन्ह नहीं हे? सही मायने में लोकतंत्र की पॉलिसी तभी सफल हो साकती हे। जब उस देश के सभी नागरिको के साथ सामान न्याय किया जाए। और उनकी योग्यतानुसार उनको उनके अधिकार दिए जाए। ना की जातिगत आधार पर। देश में समानता स्थापित करने के लिए हम को आरक्षण जातीगत आधार पर नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर देने की आवशयक्ता हे। हा अगर आपको गरीबी मिटनी हे तो ऐसे परिवारो को चिन्हित करो जिसमे कमाने वाले नहीं हे और हे भी तो बेरोजगार हे। उनको रोजगार मुहैया करवाएं। ताकि देश की गरीबी कुछ हद तक कम हो। जरूरी नहीं की एक आरक्षित जाती विशेष ही। गरीबी की रेखा में आते हो। उच्च जातियो में भी आपको अत्यन्त गरीब मिल जायेंगे जिनको वास्तव में रोजगार की आवशयक्ता हे। परन्तु आपके आरक्षण के कारण योग्यता रखते हुए भी। वो पिछड़ रहे हे। और अयोग्य योग्यता ना होते हुए भी सरकारी तंत्र के मजे मार रहे हे।

एक तरफ तो सरकार कहती हे की जाति-पाती उच-नीच का भेद भाव मिटाना हे। और दूसरी तरफ आरक्षण देकर उनमे हीन भावना भर रही हे। की हां आप निम्नजाति के हे इसलिए आप उस पोस्ट पर आज हे। नहीं तो तुम मेरी जगह और में तुम्हारी जगह होता। ऐ वो अनकहे शब्द हे। जो ना केहते हुए भी मन में अंकुरित हो जाते हे। यहां से वैचारिक मतभेद उत्पन्न होना स्वाभाविक हे। जिसे कोई भी योजना नहीं भर सकती। क्यू की आप आरक्षण जाती और धर्म के आधार पर दे रहे हे। योग्यता के आधार पर नहीं। और वर्तमान में आपसी वेमनस्य का मूल कारण भी ये ही हे। और यही से हमारी सोच को लकवा मार जाता हे। और जाने अनजाने 16वी सताब्दी याद दिला जाता हे। जिसमे आरक्षण एक धर्म विशेष को दिया जाता था। और वर्तमान में जाती विशेष को। और इसी वजह से हम एक धर्म के होते हुए भी अनेको जातियो में स्वतः ही बट जाते हे। और और येही बटवारा हमारी एकता में सेंध लगा रहा हे। तो क्या। हमें तो आरक्षण चाहियें और लेकर रहेंगे चाहे इसके लिए दंगा फसाद या आंदोलन ही क्यू न करना पड़े शर्म आनी चाहिए ऐसी सोच पर। स्वाभिमानी बनो और अपनी मेहनत से। वो मुकाम हासिल करो जो आप करना चाहते हो। ना की आरक्षण की भीख के माध्यम से।




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