Wednesday, March 18, 2015

Amit Aarya ईश्वर आज्ञा से विपरीत चलने वाले मनुष्य दुखों के अम्बार लगाये बैठे रहते है, और विश्वास...

Amit Aarya


ईश्वर आज्ञा से विपरीत चलने वाले मनुष्य दुखों के अम्बार

लगाये बैठे रहते है, और विश्वास कीजिये वेदविरुद्ध कार्य करने

वाले लोग इन दुखों से कभी बाहर नहीं निकल

सकते

आज का वातावरण ऐसा है की लोग यज्ञ संध्या आदि को त्याग

कर पाषण पूजा में लगे है, वेदों का ज्ञान रति भर नहीं है, ना

लेना चाहते है, हर कोई पैसों के पीछे दोड़ रहा है, यहाँ तक

की धर्म को भी व्यापार बना दिया है, धर्म रक्षक

संस्थाए भी भवन निर्माण और पुस्तक व्यापार मात्र में

लगी है, विद्वान निर्माण से उनका कोई सरोकार नहीं

रहा

मनुष्यों को चाहिए की जो विद्वान उपलब्ध है उन विद्वानों

की संगती में रहे, और नित्य यज्ञ, संध्या करें

जिससे दुखों का नाश हो और जीवन सुखमय बने क्यूंकि जिस

प्रकार आप नित्य माता पिता का आशीर्वाद लेकर कार्य करते है

क्यूंकि आपमें यह विशवास है की उनके आशीर्वाद

से कार्य सिद्ध होगा उसी प्रकार उस जगतपिता का

आशीर्वाद यज्ञ संध्या करके जरुर लें क्यूंकि

उसकी उपासना बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं हो

सकता यही सार्वभौमिक सत्य है जिसे स्वीकार

करना ही होगा

यजुर्वेद ३-५८ (3-58)

अव॑ रु॒द्रम॑दीम॒ह्यव॑ दे॒वन्त्र्य॑म्बकम् । यथा॑ नो॒ वस्य॑स॒स्कर॒द्य

द्यथा॑ नः॒ श्रेय॑स॒स्कर॒द्यद्यथा॑ नो व्यवसा॒यया॑त् ॥३-५८॥

भावार्थ:- कोई भी मनुष्य ईश्वर की उपासना वा

प्रार्थना के बिना सब दुःखों के अन्त को नहीं प्राप्त हो सकता,

क्योंकि वही परमेश्वर सब सुखपूर्वक निवास वा उत्तम-उत्तम

सत्य निश्चयों को कराता है। इससे जैसी उसकी

आज्ञा है, उसका पालन वैसा ही सब मनुष्यों को करना योग्य

है।।

वेदों की ओर लौटिये यही सत्य ज्ञान है

पण्डित लेखराम वैदिक मिशन ने आप लोगों की सेवा में कुछ

वेबसाइट बनाई है जिससे आप साहित्य आदि निःशुल्क डाउनलोड कर सकते

है,

www.aryamantavya.in

एक वेबसाइट है जो वेद का सर्च इंजन है, जहाँ जाकर वेद मन्त्र संख्या

से या शब्द से उसे चुटकियों में खोज सकते है

www.onlineved.com

एक वेबसाइट और है जो सत्यार्थ प्रकाश का सर्च इंजन है इसका लाभ तो

अवश्य उठाये

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