आर्यों का विज्ञान व ए. ओ. ह्यूम की अज्ञानता
by vedicpress· March 27,2015
आर्यों का विज्ञान व ए. ओ. ह्यूम की अज्ञानता१० आषाढ़ शुदि १९३२ वि. को अपने एक प्रवचन में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कहा था कि“प्राचीन काल में दरिद्रों के घर में भी विमान थे । उपरिचर नामक राजा सदा हवा मेंही फिरा करता था , पहले के लोगों को विमान रचने की कला ,विद्या भली प्रकार से विदित थी । पहले के लोग विमान आदि के द्वारा लड़ाई लड़ते थे । मैंने भी एक विमान-रचना का पुस्तक देखा है । भला आप सोचेकि उस व्यवस्था और विज्ञान केसन्मुख आज इस रेलगाड़ी की प्रतिष्ठा ही क्या हो सकती है। ”ए. ओ. ह्यूमजिन्होंने बाद में भारतीय कांग्रेस की स्थापना की , उन्होने स्वामी जी का उपहास करते हुए कहा , ‘व्यक्ति का उड़ना गुब्बारों तक ही सीमित रह सकता हैं , यान बनाकर तो केवल सपनों में ही उड़ा जा सकता है । लेकिन जबविमान का आविष्कार हुआ तोए. ओ. ह्यूमने बाद मेंउदयपुर में स्वामी श्रद्धानंद जी ( स्वामी दयानन्द जब देह त्याग चुके थे और स्वामी श्रद्धानंदउनके उत्तराधिकारी समझे जाते थे , इसलिए क्षमा उनसे मांगी गयी ) से अपने उपहास के लिए क्षमा मांगी थी ।साभार :- * स्वामी दयानन्द – अनुज जैन, पृष्ठ १४२* ऋषि दयानन्द निर्वाण शताब्दी १९८३ स्मारिका – संपादक क्षितीश वेदलंकार,पृष्ठ- ७३ Share
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