लोगो में कर्म से ज्यादा अंधी आस्था हो गई जिसके कारण वे सत्य असत्य समझने में भी अंधे हो गए .. ईश्वर सर्व व्यापक शक्तिमान होते है वो कभी अवतार नही लेते लेकिन जिन्हें खुद पर भरोसा नही होता वे ही लोग महापुरुष लोगो की जीवनी तक नही पढ़ते और चमत्कार के पीछे भागकर अपने अपने हिसाब से भगवान बनाकर इनसे चमत्कार की उम्मीद करते हुए गलत मार्ग पर जाकर सिर्फ अपनी पूंजी इन धर्म स्थलो में लुटाते है लेकिन किसी गरीब में भगवान का अंश नही देखते बल्कि अपने हिसाब से सिर्फ खुद करे सही बाकी गलत की रटु तोते की तरह धारणा पकड़ बैठ स्वार्थ में अंधे होकर भक्ति करते हैं जबकि असली भक्ति अपने से कमजोर प्राणी की सेवा करनी और उनकी मदद करनी होती है और दुआ लेनी होती है वे भूलकर पूंजीपति द्वारा बनाये गए व्यवसाहिक स्थल पर जाकर मत्था टेककर सबसे बड़े धार्मिक समझते है जबकि इस तरह कुछ नही बल्कि अपने स्वार्थ और चमत्कार के भरोसे यही लोग आज इधर से मन्नत पूरी नही हुई दुसरा ठिकाना पकड़कर पुरे जीवन भटकते है और आने वाली पीढ़ी को भी कर्म से दूरकर चमत्कार के पीछे इसी तरह फसाए रखते है …
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