आप जिस मति और गति से अपनी साँसों में सत्य को घूंट घूंट पी रहे है वह अमृत देवताओ के पास भी जाएगा तो भी और राक्षसो के पास जाएगा तो भी ——-अपना कार्य करेगा ———क्या मानव के वश में देवत्व है -और मानव मननशील ,साहसी बनकर ही देवत्व को प्राप्त कर सकता है —लेकिन ऐसे अपने जैसे —ही परिचित न हो या करने की आवश्यकता ही न हो बिना —किसी आलौकिक शक्ति के तो हम और आप भी नहीं सोच पा रहे है —-जिस प्रमाण को आप आत्मिक और मानसिक स्तर पर दिखा सकते है ऐसे ही बहुत से -दस्तावेज से बनी है मानव की जिंदगी ,नीयत को प्रमाणित करती बहुत सी नीतिया है
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