जब तक पिता अपनी बेटी को बोझ
समझता रहेगा और इस बोझ को
उतारने के लिए लड़के वालों का
घर भरता रहेगा तब तक दहेज प्रथा
समाप्त नहीं हो सकती।
इस प्रथा का अंत तो लड़की ही कर
सकती है। वह दहेज लेने वाले लड़के
से शादी करने से इनकार कर दे। बस,
इतने से सबके दिमाग ठिकाने आ
जाएँगे। लेकिन इसके लिए हिम्मत
चाहिए।
लड़की इसलिये मज़बूर हो जाती है
क्योंकि वह अपने माता पिता को
चिंतित और दुखी नहीं देखना चाहती।
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